भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 230 | Indian Contract Act Section 230

भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-230) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 230 के अनुसार किसी तत्प्रभावी संविदा के अभाव में कोई भी अभिकर्ता अपने मालिक की ओर से अपने द्वारा की गई संविदाओं का प्रवर्तन वैयक्तिक रूप से नहीं करा सकता और न वैयक्तिक रूप से उनसे आबद्ध होता है। तत्प्रतिकूल संविदा की उपधारणा-ऐसी संविदा के अस्तित्व की उपधारणा निम्नलिखित दशाओं में की जाएगी, जिसे IC Act Section-230 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 230 (Indian Contract Act Section-230) का विवरण

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 230 IC Act Section-230 के अनुसार किसी तत्प्रभावी संविदा के अभाव में कोई भी अभिकर्ता अपने मालिक की ओर से अपने द्वारा की गई संविदाओं का प्रवर्तन वैयक्तिक रूप से नहीं करा सकता और न वैयक्तिक रूप से उनसे आबद्ध होता है। तत्प्रतिकूल संविदा की उपधारणा-ऐसी संविदा के अस्तित्व की उपधारणा निम्नलिखित दशाओं में की जाएगी।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 230 (IC Act Section-230 in Hindi)

मालिक की ओर से की गई संविदाओं को अभिकर्ता वैयक्तिक रूप से न तो प्रवर्तित करा सकता है और न उनसे आबद्ध ही होता है-

किसी तत्प्रभावी संविदा के अभाव में कोई भी अभिकर्ता अपने मालिक की ओर से अपने द्वारा की गई संविदाओं का प्रवर्तन वैयक्तिक रूप से नहीं करा सकता और न वैयक्तिक रूप से उनसे आबद्ध होता है। तत्प्रतिकूल संविदा की उपधारणा-ऐसी संविदा के अस्तित्व की उपधारणा निम्नलिखित दशाओं में की जाएगी।
(1) जहां कि संविदा किसी अभिकर्ता द्वारा किसी विदेश निवासी बणिक की ओर से माल के विक्रय या क्रय के लिए की गई हो।
(2) जहां कि अभिकर्ता अपने मालिक का नाम प्रकट नहीं करता।
(3) जहां कि मालिक पर, यद्यपि उसका नाम प्रकट कर दिया गया हो, वाद नहीं लाया जा सकता।

Indian Contract Act Section-230 (IC Act Section-230 in English)

Agent cannot personally enforce, nor be bound by, contracts on behalf of principal-

In the absence of any contract to that effect, an agent cannot personally enforce contracts entered into by him on behalf of his principal, nor is he personally bound by them.
Presumption of contract to contrary—Such a contract shall be presumed to exist in the following cases:—
(1) where the contract is made by an agent for the sale or purchase of goods for a merchant resident abroad;
(2) where the agent does not disclose the name of his principal;
(3) where the principal, though disclosed, cannot be sued.

हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 230 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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