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भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 102 | सबूत का भार किस पर होता है | Indian Evidence Act Section- 102 in hindi| On whom burden of proof lies.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 102 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 102, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 102 का विवरण

भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 102 के अन्तर्गत किसी वाद या कार्यवाही में सबूत का भार उस व्यक्ति पर होता है जो असफल हो जायेगा, यदि दोनों में से किसी भी ओर से कोई भी साक्ष्य न दिया जाए।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 102 के अनुसार

सबूत का भार किस पर होता है-

किसी वाद या कार्यवाही में सबूत का भार उस व्यक्ति पर होता है जो असफल हो जायेगा, यदि दोनों में से किसी भी ओर से कोई भी साक्ष्य न दिया जाए।

On whom burden of proof lies-
The burden of proof in a suit or proceeding lies on that person who would fail if no evidence at all were given on either side.

दृष्टान्त
(क) ख पर उस भूमि के लिए क वाद लाता है जो ख के कब्जे में है और जिसके बारे में क प्रख्यान करता है कि वह ख के पिता ग को विल द्वारा क के लिए दी गई थी।
यदि किसी भी ओर से कोई साक्ष्य नहीं दिया जाए, तो ख इसका हकदार होगा कि वह अपना कब्जा रखे रहे।
अतः सबूत का भार क पर है।
(ख) ख पर एक बन्धपत्र मद्धे शोध्य धन के लिए क वाद लाता है।
उस बन्धपत्र का निष्पादन स्वीकृत है, किन्तु ख कहता है कि वह कपट द्वारा अभिप्राप्त किया गया था, जिस बात का के प्रत्याख्यान करता है।
यदि दोनों में से किसी भी ओर से कोई साक्ष्य नहीं दिया जाए, तो क सफल होगा, क्योंकि बन्धपत्र विवादग्रस्त नहीं है और कपट साबित नहीं किया गया।
अतः सबूत का भार ख पर है।

हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 102 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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