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भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 103 | विशिष्ट तथ्य के बारे में सबूत का भार | Indian Evidence Act Section- 103 in hindi| Burden of proof as to particular fact.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 103 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 103, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 103 का विवरण

भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 103 के अन्तर्गत किसी विशिष्ट तथ्य के सबूत का भार उस व्यक्ति पर होता है जो न्यायालय से यह चाहता है कि उसके अस्तित्व में विश्वास करे, जब तक कि किसी विधि द्वारा यह उपबन्धित न हो कि उस तथ्य के सबूत का भार किसी विशिष्ट व्यक्ति पर होगा।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 103 के अनुसार

विशिष्ट तथ्य के बारे में सबूत का भार-

किसी विशिष्ट तथ्य के सबूत का भार उस व्यक्ति पर होता है जो न्यायालय से यह चाहता है कि उसके अस्तित्व में विश्वास करे, जब तक कि किसी विधि द्वारा यह उपबन्धित न हो कि उस तथ्य के सबूत का भार किसी विशिष्ट व्यक्ति पर होगा।

Burden of proof as to particular fact-
The burden of proof as to any particular fact lies on that person who wishes the Court to believe in its existence, unless it is provided by any law that the proof of that fact shall lie on any particular person.

दृष्टान्त
ख को क चोरी के लिए अभियोजित करता है और न्यायालय से यह चाहता है कि न्यायालय यह विश्वास करे कि ख ने चोरी की स्वीकृति ग से की। क को यह स्वीकृति साबित करनी होगी।
ख न्यायालय से चाहता है कि वह यह विश्वास करे कि प्रश्नगत समय पर वह अन्यत्र था। उसे यह बात साबित करनी होगी।

हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 103 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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