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भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 104 | साक्ष्य को ग्राह्य बनाने के लिए जो तथ्य साबित किया जाना हो, उसे साबित करने का भार | Indian Evidence Act Section- 104 in hindi| Burden of proving fact to be proved to make evidence admissible.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 104 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 104, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 104 का विवरण

भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 104 के अन्तर्गत ऐसे तथ्य को साबित करने का भार, जिसका साबित किया जाना किसी व्यक्ति को किसी अन्य तथ्य का साक्ष्य देने को समर्थ करने के लिए आवश्यक है, उस व्यक्ति पर है जो ऐसा साक्ष्य देना चाहता है।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 104 के अनुसार

साक्ष्य को ग्राह्य बनाने के लिए जो तथ्य साबित किया जाना हो, उसे साबित करने का भार–

ऐसे तथ्य को साबित करने का भार, जिसका साबित किया जाना किसी व्यक्ति को किसी अन्य तथ्य का साक्ष्य देने को समर्थ करने के लिए आवश्यक है, उस व्यक्ति पर है जो ऐसा साक्ष्य देना चाहता है।

Burden of proving fact to be proved to make evidence admissible-
The burden of proving any fact necessary to be proved in order to enable any person to give evidence of any other fact is on the person who wishes to give such evidence.

दृष्टान्त
(क) ख द्वारा किये गये मृत्युकालिक कथन को क साबित करना चाहता है। क को ख की मृत्यु साबित करनी होगी।
(ख) क किसी खोई हुई दस्तावेज की अन्तर्वस्तु को द्वितीयिक साक्ष्य द्वारा साबित करना चाहता है। क को यह साबित करना होगा कि दस्तावेज खो गई है।

हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 104 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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