भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 22 | दस्तावेजों की अन्तर्वस्तु के बारे में मौखिक स्वीकृतियां कब सुसंगत होती हैं | Indian Evidence Act Section- 22 in hindi| When oral admissions as to contents of documents are relevant.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 22 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 22, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 22 का विवरण

भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 22 के अन्तर्गत किसी दस्तावेज की अन्तर्वस्तु के बारे में मौखिक स्वीकृतियां तब तक सुसंगत नहीं होती, यदि और जब तक उन्हें साबित करने की प्रस्थापना करने वाला पक्षकार यह दर्शित न कर दे कि ऐसी दस्तावेज की अन्तर्वस्तुओं का द्वितीयक साक्ष्य देने का वह एतस्मिन्पश्चात् दिये हेए नियमों के अधीन हकदार है, अथवा जब तक पेश की गई। दस्तावेज का असली होना प्रश्नगत न हो।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 22 के अनुसार

दस्तावेजों की अन्तर्वस्तु के बारे में मौखिक स्वीकृतियां कब सुसंगत होती हैं—

किसी दस्तावेज की अन्तर्वस्तु के बारे में मौखिक स्वीकृतियां तब तक सुसंगत नहीं होती, यदि और जब तक उन्हें साबित करने की प्रस्थापना करने वाला पक्षकार यह दर्शित न कर दे कि ऐसी दस्तावेज की अन्तर्वस्तुओं का द्वितीयक साक्ष्य देने का वह एतस्मिन्पश्चात् दिये हेए नियमों के अधीन हकदार है, अथवा जब तक पेश की गई। दस्तावेज का असली होना प्रश्नगत न हो।

When oral admissions as to contents of documents are relevant-
Oral admissions as to the contents of a document are not relevant, unless and until the party proposing to prove them shows that he is entitled to give secondary evidence of the contents of such document under the rules hereinafter contained, or unless the genuineness of a document produced is in question.

हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 22 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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