भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 47 | हस्तलेख के बारे में राय कब सुसंगत है | Indian Evidence Act Section- 47 in hindi| Opinion as to handwriting, when relevant.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 47 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 47, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 47 का विवरण

भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 47 के अन्तर्गत जब न्यायालय को राय बनानी हो कि कोई दस्तावेज किस व्यक्ति ने लिखी या हस्ताक्षरित की थी, तब उस व्यक्ति के हस्तलेख से, जिसके द्वारा वह लिखी या हस्ताक्षरित की गयी अनुमानित की जाती है, परिचित किसी व्यक्ति की यह राय कि वह उस व्यक्ति द्वारा लिखी या हस्ताक्षरित की गयी थी अथवा लिखी या हस्ताक्षरित नहीं की गयी थी, सुसंगत तथ्य है।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 47 के अनुसार

हस्तलेख के बारे में राय कब सुसंगत है-

जबकि न्यायालय को राय बनानी हो कि कोई दस्तावेज किस व्यक्ति ने लिखी या हस्ताक्षरित की थी, तब उस व्यक्ति के हस्तलेख से, जिसके द्वारा वह लिखी या हस्ताक्षरित की गयी अनुमानित की जाती है, परिचित किसी व्यक्ति की यह राय कि वह उस व्यक्ति द्वारा लिखी या हस्ताक्षरित की गयी थी अथवा लिखी या हस्ताक्षरित नहीं की गयी थी, सुसंगत तथ्य है।

Opinion as to handwriting, when relevant-
When the Court has to form an opinion as to the person by whom any document was written or signed, the opinion of any person acquainted with the handwriting of the person by whom it is supposed to be written or signed that it was or was not written or signed that person, is relevant fact.

स्पष्टीकरण- कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के हस्तलेख से परिचित तब कहा जाता है, जबकि उसने उस व्यक्ति को लिखते देखा है या जबकि स्वयं अपने द्वारा या अपने प्राधिकार के अधीन लिखित और उस व्यक्ति को सम्बोधित दस्तावेज के उत्तर में उस व्यक्ति द्वारा लिखी हुई तात्पर्यित होने वाली दस्तावेजें प्राप्त की हैं, या जबकि कारोबार के मामूली अनुक्रम में उस व्यक्ति द्वारा लिखी हुई तात्पर्यित होने वाली दस्तावेजें उसके समक्ष बराबर रखी जाती रही हैं।

दृष्टान्त
प्रश्न यह है कि क्या अमुक पत्र लन्दन के एक व्यापारी क के हस्तलेख में है।
ख कलकत्ते में एक व्यापारी है, जिसने क को पत्र सम्बोधित किए हैं तथा उसके द्वारा लिखे हुए तात्पर्यित होने वाले पत्र प्राप्त किये हैं। ग, ख का लिपिक है, जिसका कर्तव्य ख के पत्र-व्यवहार को देखना और फाइल करना था। ख का दलाल घ है जिसके समक्ष क द्वारा लिखे गये तात्पर्यित होने वाले पत्रों को उनके बारे में उससे सलाह करने के लिए ख बराबर रखा करता था।
ख, ग और घ की इस प्रश्न पर रायें कि क्या वह पत्र क के हस्तलेख में है, सुसंगत हैं, यद्यपि न तो खने, नग ने, न घने क को लिखते हुए कभी देखा था।

हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 47 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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