भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 48 | अधिकार या रूढ़ि के अस्तित्व के बारे में रायें कब सुसंगत हैं | Indian Evidence Act Section- 48 in hindi| Opinion as to existence of right or custom, when relevant.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 48 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 48, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 48 का विवरण

भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 48 के अन्तर्गत जब न्यायालय किसी साधारण रूढ़ि या अधिकार के अस्तित्व के बारे में राय बनानी हो, तब ऐसी रूढ़ि या अधिकार के अस्तित्व के बारे में उन व्यक्तियों की रायें सुसंगत हैं, जो यदि उसका अस्तित्व होता तो सम्भाव्यतः उसे जानते होते।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 48 के अनुसार

अधिकार या रूढ़ि के अस्तित्व के बारे में रायें कब सुसंगत हैं–

जबकि न्यायालय को किसी साधारण रूढ़ि या अधिकार के अस्तित्व के बारे में राय बनानी हो, तब ऐसी रूढ़ि या अधिकार के अस्तित्व के बारे में उन व्यक्तियों की रायें सुसंगत हैं, जो यदि उसका अस्तित्व होता तो सम्भाव्यतः उसे जानते होते।

Opinion as to existence of right or custom, when relevant-
When the Court has to form an opinion as to the existence of any general custom or right, the opinions, as to the existence of such custom or right, of persons who would be likely to know of its existence if it existed, are relevant.


स्पष्टीकरण–“साधारण रूढ़ि या अधिकार” के अन्तर्गत ऐसी रूढ़ियाँ या अधिकार आते हैं, जो व्यक्तियों के किसी काफी बड़े वर्ग के लिए सामान्य हैं।

दृष्टान्त
किसी विशिष्ट ग्राम के निवासियों का अमुक कूप के पानी का उपयोग करने का अधिकार इस धारा के अर्थ के अन्तर्गत साधारण अधिकार है।

हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 48 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

Leave a Comment