भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 63 | द्वितीयिक साक्ष्य | Indian Evidence Act Section- 63 in hindi| Secondary evidence.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 63 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 63, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 63 का विवरण

भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 63 के अन्तर्गत मूल से ऐसी यान्त्रिक प्रक्रियाओं द्वारा, जो प्रक्रियाएँ स्वयं ही प्रति की शुद्धता सुनिश्चित करती हैं, बनाई गई प्रतियाँ तथा ऐसी प्रतियों से तुलना की हुई प्रतिलिपियाँ एवंम् मूल से बनाई गई या तुलना की गई प्रतियाँ; उन पक्षकारों के विरुद्ध, जिन्होंने उन्हें निष्पादित नहीं किया है, दस्तावेजों के प्रतिलेख दस्तावेज की अन्तर्वस्तु का उस व्यक्ति द्वारा, जिसने स्वयं उसे देखा है, दिया हुआ मौखिक वृत्तान्त द्वितीयिक साक्ष्य है।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 63 के अनुसार

द्वितीयिक साक्ष्य–

द्वितीयिक साक्ष्य से अभिप्रेत है और उसके अन्तर्गत आते हैं।
(1) एतस्मिन्पश्चात् अन्तर्विष्ट उपबन्धों के अधीन दी हुई प्रमाणित प्रतियाँ;
(2) मूल से ऐसी यान्त्रिक प्रक्रियाओं द्वारा, जो प्रक्रियाएँ स्वयं ही प्रति की शुद्धता सुनिश्चित करती हैं, बनाई गई प्रतियाँ तथा ऐसी प्रतियों से तुलना की हुई प्रतिलिपियाँ;
(3) मूल से बनाई गई या तुलना की गई प्रतियाँ;
(4) उन पक्षकारों के विरुद्ध, जिन्होंने उन्हें निष्पादित नहीं किया है, दस्तावेजों के प्रतिलेख;
(5) किसी दस्तावेज की अन्तर्वस्तु का उस व्यक्ति द्वारा, जिसने स्वयं उसे देखा है, दिया हुआ मौखिक वृत्तान्त।

Secondary evidence-
Secondary evidence means and includes-
(1) certified copies given under the provisions hereinafter contained;
(2) copies made from the original by mechanical processes which in themselves ensure the accuracy of the copy, and copies compared with such copies;
(3) copies made from or compared with the original;
(4) counterparts of documents as against the parties who did not execute them;
(5) oral accounts of the contents of a document given by some person who has himself seen it.

दृष्टान्त
(क) किसी मूल का फोटोचित्र, यद्यपि दोनों की तुलना न की गई हो तथापि यदि यह साबित किया जाता है कि फोटोचित्रित वस्तु मूल थी, उस मूल की अन्तर्वस्तु का द्वितीयिक साक्ष्य है।
(ख) किसी पत्र की वह प्रति, जिसकी तुलना उस पत्र की, उस प्रति से कर ली गई है जो प्रतिलिपि यन्त्र द्वारा तैयार की गई है, उस पत्र की अन्तर्वस्तु का द्वितीयिक साक्ष्य है, यदि यह दर्शित कर दिया जाता है कि प्रतिलिपि यन्त्र द्वारा तैयार की गई प्रति मूल से बनाई गई थी।
(ग) प्रति की नकल करके तैयार की गई किन्तु तत्पश्चात् मूल से तुलना की हुई प्रतिलिपि द्वितीयिक साक्ष्य है, किन्तु इस प्रकार तुलना नहीं की हुई प्रति मूल का द्वितीयिक साक्ष्य नहीं है, यद्यपि उस प्रति की, जिससे वह नकल की गई है, मूल से तुलना की गई थी।
(घ) न तो मूल से तुलनाकृत प्रति का मौखिक वृत्तान्त और न मूल के किसी फोटोचित्र या यन्त्रकृत प्रति का मौखिक वृत्तान्त मूल का द्वितीयिक साक्ष्य है।

हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 63 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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