fbpx

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 85 | मुख्तारनामों के बारे में उपधारणा | Indian Evidence Act Section- 85 in hindi| Presumption as to powers-of-attorney.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 85 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 85, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 85 का विवरण

भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 85 के अन्तर्गत न्यायालय यह उपधारित करेगा कि हर ऐसी दस्तावेज जिसका मुख्तारनामा होना और नोटरी पब्लिक या किसी न्यायालय, न्यायाधीश, मजिस्ट्रेट, भारतीय कौन्सल या उपकौन्सल, या केन्द्रीय सरकार के प्रतिनिधि के समक्ष निष्पादित और उस द्वारा अधिप्रमाणीकृत होना तात्पर्यित है, ऐसे निष्पादित और अधिप्रमाणीकृत की गई थी।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 85 के अनुसार

मुख्तारनामों के बारे में उपधारणा-

न्यायालय यह उपधारित करेगा कि हर ऐसी दस्तावेज जिसका मुख्तारनामा होना और नोटरी पब्लिक या किसी न्यायालय, न्यायाधीश, मजिस्ट्रेट, भारतीय कौन्सल या उपकौन्सल, या केन्द्रीय सरकार के प्रतिनिधि के समक्ष निष्पादित और उस द्वारा अधिप्रमाणीकृत होना तात्पर्यित है, ऐसे निष्पादित और अधिप्रमाणीकृत की गई थी।

Presumption as to powers-of-attorney-
The Court shall presume that every document purporting to be a power-of-attorney, and to have been executed before, and authenticated by, a Notary Public, or any Court, Judge, Magistrate, Indian Consul or Vice-Consul, or represen-tative of the Central Government, was so executed and authenticated.

हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 85 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

Leave a Comment