किशोर न्याय अधिनियम की धारा 102 | Juvenile Justice Act Section 102

किशोर न्याय अधिनियम JJ Act (Juvenile Justice Act Section-102) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। किशोर न्याय अधिनियम की धारा 102 के अनुसार उच्च न्यायालय स्वप्रेरणा से या इस निमित्त प्राप्त किसी आवेदन पर, किसी भी समय, किसी ऐसी कार्यवाही का, जिसमें किसी समिति या बोर्ड या बालक न्यायालय या न्यायालय ने कोई आदेश पारित किया हो, अभिलेख आदेश की वैधता या औचित्य के संबंध में अपना समाधान करने के प्रयोजनार्थ मंगा सकेगा और उसके संबंध में ऐसा आदेश पारित कर सकेगा, जो वह ठीक समझे, जिसे JJ Act Section-102 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।

किशोर न्याय अधिनियम की धारा 102 (Juvenile Justice Act Section-102) का विवरण

किशोर न्याय अधिनियम की धारा 100 JJ Act Section-100 के तहत किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) उच्च न्यायालय स्वप्रेरणा से या इस निमित्त प्राप्त किसी आवेदन पर, किसी भी समय, किसी ऐसी कार्यवाही का, जिसमें किसी समिति या बोर्ड या बालक न्यायालय या न्यायालय ने कोई आदेश पारित किया हो, अभिलेख आदेश की वैधता या औचित्य के संबंध में अपना समाधान करने के प्रयोजनार्थ मंगा सकेगा और उसके संबंध में ऐसा आदेश पारित कर सकेगा, जो वह ठीक समझे।

किशोर न्याय अधिनियम की धारा 100 (JJ Act Section-100 in Hindi)

पुनरीक्षण-

उच्च न्यायालय स्वप्रेरणा से या इस निमित्त प्राप्त किसी आवेदन पर, किसी भी समय, किसी ऐसी कार्यवाही का, जिसमें किसी समिति या बोर्ड या बालक न्यायालय या न्यायालय ने कोई आदेश पारित किया हो, अभिलेख आदेश की वैधता या औचित्य के संबंध में अपना समाधान करने के प्रयोजनार्थ मंगा सकेगा और उसके संबंध में ऐसा आदेश पारित कर सकेगा, जो वह ठीक समझे :
परंतु उच्च न्यायालय इस धारा के अधीन किसी व्यक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला कोई आदेश उसे सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर प्रदान किए बिना पारित नहीं करेगा।

Juvenile Justice Act Section-102 (JJ Act Section-102 in English)

Revision-

The High Court may, at any time, either on its own motion or on an application received in this behalf, call for the record of any proceeding in which any Committee or Board or Children’s Court, or Court has passed an order, for the purpose of satisfying itself as to the legality or propriety of any such order and may pass such order in relation thereto as it thinks fit:
Provided that the High Court shall not pass an order under this section prejudicial to any person without giving him a reasonable opportunity of being heard.

हमारा प्रयास किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act Section) की धारा 102 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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