किशोर न्याय अधिनियम JJ Act (Juvenile Justice Act Section-38) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। किशोर न्याय अधिनियम की धारा 38 के अनुसार अनाथ और परित्यक्त बालक की दशा में, समिति, बालक के माता-पिता या संरक्षकों का पता लगाने का सभी प्रयास करेगी और ऐसी जांच पूरी होने पर यदि यह स्थापित हो जाता है कि बालक या तो अनाथ है, जिसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है या परित्यक्त है, तो समिति बालक को दत्तकग्रहण के लिए विधिक रूप से स्वतंत्र घोषित करेगी, जिसे JJ Act Section-38 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।
HIGHLIGHTS
किशोर न्याय अधिनियम की धारा 38 (Juvenile Justice Act Section-38) का विवरण
किशोर न्याय अधिनियम की धारा 38 JJ Act Section-38 के तहत किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) अनाथ और परित्यक्त बालक की दशा में, समिति, बालक के माता-पिता या संरक्षकों का पता लगाने का सभी प्रयास करेगी और ऐसी जांच पूरी होने पर यदि यह स्थापित हो जाता है कि बालक या तो अनाथ है, जिसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है या परित्यक्त है, तो समिति बालक को दत्तकग्रहण के लिए विधिक रूप से स्वतंत्र घोषित करेगी।
किशोर न्याय अधिनियम की धारा 38 (JJ Act Section-38 in Hindi)
किसी बालक की दत्तक ग्रहण के लिए विधिक रूप से स्वतंत्र घोषित करने की प्रक्रिया–
(1) अनाथ और परित्यक्त बालक की दशा में, समिति, बालक के माता-पिता या संरक्षकों का पता लगाने का सभी प्रयास करेगी और ऐसी जांच पूरी होने पर यदि यह स्थापित हो जाता है कि बालक या तो अनाथ है, जिसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है या परित्यक्त है, तो समिति बालक को दत्तकग्रहण के लिए विधिक रूप से स्वतंत्र घोषित करेगी :
परन्तु ऐसी घोषणा ऐसे बालकों के लिए, जो दो वर्ष तक की आयु तक के हैं, बालक के पेश किए जाने की तारीख से दो मास की अवधि के भीतर और ऐसे बालकों के लिए, जो दो वर्ष से अधिक आयु के हैं, चार मास के भीतर की जाएगी :
परन्तु यह और कि इस बारे में तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, इस अधिनियम के अधीन किसी परित्यक्त या अभ्यर्पित बालक के संबंध में जांच की प्रक्रिया में किसी जैविक माता-पिता के विरुद्ध कोई प्रथम इत्तिला रिपोर्ट रजिस्टर नहीं की जाएगी।
(2) अभ्यर्पित बालक की दशा में वह संस्था, जहां अभ्यर्पण संबंधी आवेदन पर समिति द्वारा बालक को रखा गया है, धारा 35 के अधीन विनिर्दिष्ट अवधि के पूरा होने पर बालक को दत्तकग्रहण के लिए विधिक रूप से स्वतंत्र घोषित करने के लिए उस मामले को समिति के समक्ष लाएगी।
(3) मानसिक रूप से विकृत माता-पिता के बालक या लैंगिक हमले से पीड़ित व्यक्ति के अवांछित बालक की दशा में उस बालक को समिति द्वारा इस अधिनियम के अधीन प्रक्रिया का अनुसरण करते हुए, इस बारे में तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, दत्तकग्रहण के लिए स्वतंत्र घोषित किया जा सकेगा ।
(4) अनाथ, परित्यक्त और अभ्यर्पित बालक को दत्तकग्रहण के लिए विधिक रूप से स्वतंत्र घोषित करने का विनिश्चय समिति के कम से कम तीन सदस्यों द्वारा किया जाएगा ।
(5) समिति, दत्तकग्रहण के लिए विधिक रूप से स्वतंत्र घोषित किए गए बालकों की संख्या और विनिश्चयार्थ लंबित मामलों की संख्या के बारे में जिला मजिस्ट्रेट, राज्य अभिकरण और केन्द्रीय दत्तकग्रहण स्त्रोत प्राधिकरण को, ऐसी रीति में, जो विहित की जाए, प्रति मास सूचित करेगी ।
Juvenile Justice Act Section-38 (JJ Act Section-38 in English)
Procedure for declaring a child legally free for adoption–
(1) In case of orphan and abandoned child, the Committee shall make all efforts for tracing the parents or guardians of the child and on completion of such inquiry, if it is established that the child is either an orphan having no one to take care, or abandoned, the Committee shall declare the child legally free for adoption:
Provided that such declaration shall be made within a period of two months from the date of production of the child, for children who are up to two years of age and within four months for children above two years of age:
Provided further that notwithstanding anything contained in this regard in any other law for the time being in force, no first information report shall be registered against any biological parent in the process of inquiry relating to an abandoned or surrendered child under this Act.
(2) In case of surrendered child, the institution where the child has been placed by the Committee on an application for surrender, shall bring the case before the Committee immediately on completion of the period specified in section 35, for declaring the child legally free for adoption.
(3) Notwithstanding anything contained in any other law for the time being in force, a child of a mentally retarded parents or a unwanted child of victim of sexual assault, such child may be declared free for adoption by the Committee, by following the procedure under this Act.
(4) The decision to declare an orphan, abandoned or surrendered child as legally free for adoption shall be taken by at least three members of the Committee.
(5) The Committee shall inform 1[the District Magistrate] the State Agency and the Authority regarding the number of children declared as legally free for adoption and number of cases pending for decision in the manner as may be prescribed, every month.
हमारा प्रयास किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act Section) की धारा 38 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।