मोटर वाहन अधिनियम की धारा 153 | बीमाकर्ता और बीमाकृत व्यक्तियों के बीच समझौता | MV Act, Section- 153 in hindi | Settlement between insurers and insured persons.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए मोटर वाहन अधिनियम की धारा 153 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है मोटर वाहन अधिनियम की धारा- 153, साथ ही इस धारा के अंतर्गत क्या परिभाषित किया गया है, यह सभी जानकारी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

मोटर वाहन अधिनियम की धारा- 153 का विवरण

मोटर वाहन अधिनियम (Motor Vehicles Act) की धारा -153 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। इस अध्याय के प्रयोजन के लिए जारी की गई पालिसी के अधीन बीमाकृत है दिवालिया हो जाता है या जहां ऐसा बीमाकृत व्यक्ति एक कंपनी है, कंपनी के संबंध में परिसमापन आदेश किया गया है या स्वेच्छया परिसमापन का संकल्प पारित किया गया है, बीमाकर्ता और बीमाकृत व्यक्ति के बीच कोई भी ठहराव पर-पक्षकार द्वारा दायित्व उपगत किए जाने के पश्चात नहीं किया जाएगा और, यथास्थिति, दिवाला या परिसमापन, जैसा भी मामला हो, के प्रारंभ होने के पश्चात् किया गया कोई अधित्यजन, समनुदेशन या अन्य व्ययन या उपरोक्त प्रारंभ के पश्चात् बीमाकृत व्यक्ति को किया गया संदाय इस अध्याय के अधीन पर-पक्षकार को अंतरित किए गए अधिकारों को विफल करने के लिए प्रभावी नहीं होगा।

मोटर वाहन अधिनियम की धारा- 153 के अनुसार

बीमाकर्ता और बीमाकृत व्यक्तियों के बीच समझौता-

(1) बीमाकर्ता द्वारा धारा 147 की उपधारा (1) के खंड (ख) में निर्दिष्ट प्रकृति के किसी दायित्व के संबंध में पर-पक्षकार द्वारा किए जा सकने वाले दावे की बाबत किया गया समझौता विधिमान्य नहीं होगा जब तक कि पर-पक्षकार समझौता का एक पक्षकार न हो।
(2) दावा अधिकरण यह सुनिश्चित करेगा कि समझौता सद्भाविक है और असम्यक् प्रभाव के अधीन नहीं किया गया था तथा प्रतिकर धारा 164 की उपधारा (1) में निर्दिष्ट संदाय अनुसूची के अनुसार दिया गया है।
(3) जहां एक व्यक्ति, जो इस अध्याय के प्रयोजन के लिए जारी की गई पालिसी के अधीन बीमाकृत है दिवालिया हो जाता है या जहां ऐसा बीमाकृत व्यक्ति एक कंपनी है, कंपनी के संबंध में परिसमापन आदेश किया गया है या स्वेच्छया परिसमापन का संकल्प पारित किया गया है, बीमाकर्ता और बीमाकृत व्यक्ति के बीच कोई भी ठहराव पर-पक्षकार द्वारा दायित्व उपगत किए जाने के पश्चात नहीं किया जाएगा और, यथास्थिति, दिवाला या परिसमापन, जैसा भी मामला हो, के प्रारंभ होने के पश्चात् किया गया कोई अधित्यजन, समनुदेशन या अन्य व्ययन या उपरोक्त प्रारंभ के पश्चात् बीमाकृत व्यक्ति को किया गया संदाय इस अध्याय के अधीन पर-पक्षकार को अंतरित किए गए अधिकारों को विफल करने के लिए प्रभावी नहीं होगा, लेकिन वे अधिकार वैसे ही रहेंगे मानो ऐसा ठहराव, अधित्यजन, समनुदेशन या व्ययन नहीं किया गया है।

Settlement between insurers and insured persons-
(1) No settlement made by an insurer in respect of any claim which might be made by a third party in respect of any liability of the nature referred to in clause (b) of subsection (1) of section 147 shall be valid unless such third party is a party to the settlement.
(2) The Claims Tribunal shall ensure that the settlement is bona fide and was not made under undue influence and the compensation is made in accordance with the payment schedule referred to in sub-section (1) of section 164.
(3) Where a person who is insured under a policy issued for the purpose of this Chapter has become insolvent, or where, if such insured person is a company, a winding-up order has been made or a resolution for a voluntary winding-up has been passed with respect to the company, no agreement made between the insurer and the insured person after the liability has been incurred to a third party and after the commencement of the insolvency or winding-up, as the case may be, nor any waiver, assignment or other disposition made by or payment made to the insured person after the commencement aforesaid, shall be effective to defeat the rights transferred to the third party under this Chapter; but those rights shall be the same as if no such agreement, waiver, assignment or disposition or payment has been made.

हमारा प्रयास मोटर वाहन अधिनियम (MV Act) की धारा 153 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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