नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए मोटर वाहन अधिनियम की धारा 164C के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है मोटर वाहन अधिनियम की धारा- 164C, साथ ही इस धारा के अंतर्गत क्या परिभाषित किया गया है, यह सभी जानकारी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
मोटर वाहन अधिनियम की धारा- 164C का विवरण
मोटर वाहन अधिनियम (Motor Vehicles Act) की धारा -164C के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। केन्द्रीय सरकार इस अध्याय के उपबंधों को प्रभावी करने के प्रयोजनों के लिए नियम बना सकेगी।
मोटर वाहन अधिनियम की धारा- 164C के अनुसार
केन्द्रीय सरकार की नियम बनाने की शक्ति-
(1) केन्द्रीय सरकार इस अध्याय के उपबंधों को प्रभावी करने के प्रयोजनों के लिए नियम बना सकेगी।
(2) पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियम निम्नलिखित के लिए उपबंध कर सकेंगे :-
(क) इस अध्याय के प्रयोजनों के लिए प्रयोग किए जाने वाले प्ररूप,–
(i) बीमा पालिसी का प्ररूप और वे विशिष्टियां, जो धारा 147 की उपधारा (3) में यथा निर्दिष्ट रूप में उसमें अंतर्विष्ट होंगी।
(ii) धारा 157 की उपधारा (2) के अधीन बीमा प्रमाणपत्र में अंतरण के तथ्य के संबंध में परिवर्तन करने के लिए प्ररूप;
(iii) वह प्ररूप, जिसमें दुर्घटना की जानकारी संबंधी रिपोर्ट तैयार की जा सकेगी, वे विशिष्टियां, जो उनमें अंतर्विष्ट होंगी, धारा 159 के अधीन उस रिपोर्ट को दावा अधिकरण या किसी अन्य अभिकरण के सामने प्रस्तुत करने की रीति और समय;
(iv) धारा 160 के अधीन सूचना प्रस्तुत करने के लिए प्ररूप;
(v) धारा 164ख की उपधारा (7) के अधीन मोटर यान दर्घटना निधि के लिए लेखाओं के वार्षिक विवरण का प्ररूप;
(ख) बीमा प्रमाणपत्रों के लिए आवेदन करना तथा उन्हें जारी करना;
(ग) गुमशुदा, विनष्ट या विकृत बीमा प्रमाणपत्रों को बदलने के लिए दूसरी प्रति जारी करना;
(घ) बीमा प्रमाणपत्रों की अभिरक्षा, प्रस्तुतिकरण निरस्तीकरण और अभ्यर्पण;
(ङ) इस अध्याय के अधीन जारी बीमा पालिसियों के बीमाकर्ताओं द्वारा अभिलेखों का रखा जाना;
(च) इस अध्याय के उपबंधों से छूट प्राप्त व्यक्तियों या यानों की प्रमाणपत्रों या अन्यथा द्वारा पहचान;
(छ) बीमाकर्ताओं द्वारा बीमा की पालिसियों के संबंध में जानकारी देना;
(ज) केवल अस्थायी रूप से रुकने वाले व्यक्तियों द्वारा भारत में लाए गए यानों को व्यतिकारी देश में रजिस्ट्रीकृत यानों के लिए और विहित उपातंरणों सहित इन उपबंधों को लागू करके भारत में किसी मार्ग पर या किसी क्षेत्र में प्रचालित करने के लिए इस अध्याय के उपबंधों को अंगीकार करना;
(झ) वे अपेक्षाएं, जिनके संबंध में किसी बीमा प्रमाणपत्र से धारा 145 के खंड (ख) में यथा निर्दिष्ट किए गए अनुसार अनुपालन करने की अपेक्षा की जाती है;
(ञ) धारा 146 की उपधारा (3) के अधीन स्थापित निधि का प्रशासन;
(ट) धारा 147 की उपधारा (2) के अधीन न्यूनतम प्रीमियम और बीमाकर्ता का अधिकतम दायित्व;
(ठ) वे शर्ते, जिनके अधीन रहते हुए कोई बीमा पालिसी जारी की जाएगी और धारा 147 की उपधारा (3) में यथा निर्दिष्ट उससे संबंधित अन्य विषय;
(ड) धारा 149 की उपधारा (2) के अधीन समझौते के ब्यौरे, ऐसे समझौते की समय सीमा और उसकी प्रक्रिया;
(ढ) धारा 158 की उपधारा (3) के परंतुक के अधीन छूटों और उपांतरणों का विस्तार;
(ण) धारा 158 की उपधारा (5) के अधीन अन्य साक्ष्य;
(त) ऐसा अन्य अभिकरण, जिसको धारा 159 में यथानिर्दिष्ट दुर्घटना सूचना संबंधी रिपोर्ट प्रस्तुत की जा सकेगी;
(थ) धारा 160 के अधीन सूचना प्रस्तुत करने के लिए समय-सीमा और फीस;
(द) धारा 161 की उपधारा (2) के खंड (क) के अधीन मृत्यु के संबंध में प्रतिकर की उच्चतर रकम;
(ध) धारा 161 की उपधारा (4) के खंड (क) में यथा निर्दिष्ट अंतरिम अनुतोष के रूप में संदत्त की जाने वाली राशि;
(न) धारा 164 की उपधारा (1) के अधीन प्रतिकर के संदाय के लिए प्रक्रिया;
(प) ऐसे अन्य स्रोत, जिनसे धारा 164क की उपधारा (2) में यथा निर्दिष्ट स्कीम के लिए निधिया वसूल की जा सकेंगी;
(फ) किसी अन्य स्त्रोत से कोई आय, जिसे धारा 164ख की उपधारा (1) के अधीन मोटर यान दुर्घटना निधि में जमा किया जाएगा;
(ब) वे व्यक्ति, जिनको धारा 164ख की उपधारा (3) के खंड (घ) के अधीन प्रतिकर का संदाय किया जा सकेगा;
(भ) धारा 164ख की उपधारा (4) के अधीन दायित्व की अधिकतम रकम;
(म) धारा 164ख की उपधारा (6) के खंड (ग) के अधीन अन्य मानदंड;
(य) कोई अन्य विषय, जो विहित किया जाना है या विहित किया जाए या जिसके संबंध में नियमों द्वारा उपबंध बनाए जाने हैं।
Power of Central Government to make rules-
(1) The Central Government may make rules for the purposes of carrying into effect, the provisions of this Chapter.
(2) Without prejudice to the generality of the foregoing power, such rules may provide for–
(a) the forms to be used for the purposes of this Chapter including, —
(i) the form of the insurance policy and the particulars it shall contain as referred to in sub-section (3) of section 147;
(ii) the form for making changes in regard to the fact of transfer in the certificate of insurance under sub-section (2) of section 157;
(iii) the form in which the accident information report may be prepared, the particulars it shall contain, the manner and the time for submitting the report to the Claims Tribunal and the other agency under section 159;
(iv) the form for furnishing information under section 160; and
(v) the form of the annual statement of accounts for the Motor Vehicle Accident Fund under sub-section (7) of section 164B;
(b) the making of applications for and the issue of certificates of insurance;
(c) the issue of duplicates to replace certificates of insurance lost, destroyed or mutilated;
(d) the custody, production, cancellation and surrender of certificates of insurance;
(e) the records to be maintained by insurers of policies of insurance issued under this Chapter;
(f) the identification by certificates or otherwise of persons or vehicles exempted from the provisions of this Chapter;
(g) the furnishing of information respecting policies of insurance by insurers;
(h) adopting the provisions of this Chapter to vehicles brought into India by persons making only a temporary stay therein or to vehicles registered in a reciprocating country and operating on any route or within any area in India by applying those provisions with prescribed modifications;
(i) the requirements which a certificate of insurance is required to comply with as referred to in clause (b) of section 145;
(j) administration of the fund established under sub-section (3) of section 146;
(k) the minimum premium and the maximum liability of an insurer under sub-section (2) of section 147;
(l) the conditions subject to which an insurance policy shall be issued and other matters related thereto as referred to in sub-section (3) of section 147;
(m) the details of settlement, the time limit for such settlement and the De procedure thereof under sub-section (2) of section 149;
(n) the extent of exemptions and the modifications under the proviso to sub-section (3) of section 158;
(o) the other evidence under sub-section (5) of section 158;
(p) such other agency to which the accident information report as referred to in section 159 may be submitted;
(q) the time limit and fee for furnishing information under section 160;
(r) the higher amount of compensation in respect of death under clause (a) of sub-section (2) of section 161;
(s) a sum to be paid as interim relief as referred to in clause (a) of sub section (4) of section 161;
(t) the procedure for payment of compensation under sub-section (1) of section 164;
(u) such other sources from which funds may be recovered for the scheme as referred to in sub-section (2) of section 164A;
(v) any other source of income that may be credited into the Motor Vehicle Accident Fund under sub-section (1) of section 164B;
(w) the persons to whom compensation may be paid under clause (d) of sub-section (3) of section 164B;
(x) the maximum liability amount under sub-section (4) of section 164B;
(y) the other criteria under clause (c) of sub-section (6) of section 164B;
(z) any other matter which is to be or may be prescribed or in respect of which provision is to be made by rules.
हमारा प्रयास मोटर वाहन अधिनियम (MV Act) की धारा 164C की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।