मोटर वाहन अधिनियम की धारा 165 | दावा अधिकरण | MV Act, Section- 165 in hindi | Claims Tribunals.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए मोटर वाहन अधिनियम की धारा 165 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है मोटर वाहन अधिनियम की धारा- 165, साथ ही इस धारा के अंतर्गत क्या परिभाषित किया गया है, यह सभी जानकारी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

मोटर वाहन अधिनियम की धारा- 165 का विवरण

मोटर वाहन अधिनियम (Motor Vehicles Act) की धारा -165 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। इस अध्याय के आधीन राज्य सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, एक या अधिक मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (जिन्हें इस अध्याय में इसके पश्चात् दावा अधिकरण कहा गया है) ऐसे क्षेत्र के लिए, जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किया जाए, उन दुर्घटनाओं की बाबत प्रतिकर के दावों के न्यायनिर्णयन के प्रयोजन के लिए गठित कर सकेगी।

मोटर वाहन अधिनियम की धारा- 165 के अनुसार

दावा अधिकरण-

(1) राज्य सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, एक या अधिक मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (जिन्हें इस अध्याय में इसके पश्चात् दावा अधिकरण कहा गया है) ऐसे क्षेत्र के लिए, जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किया जाए, उन दुर्घटनाओं की बाबत प्रतिकर के दावों के न्यायनिर्णयन के प्रयोजन के लिए गठित कर सकेगी जिनमें मोटर यानों के उपयोग से व्यक्तियों की मृत्यु या उन्हें शारीरिक क्षति हुई है या पर-व्यक्ति की किसी संपत्ति को नुकसान हुआ है या दोनों बातें हुई हैं।
स्पष्टीकरण- शंकाओं के निराकरण के लिए यह घोषित किया जाता है कि “उन दुर्घटनाओं की बाबत प्रतिकर के दावों के न्यायनिर्णयन के प्रयोजन के लिए गठित कर सकेगी जिनमें मोटर यानों के उपयोग से व्यक्तियों की मृत्यु या उन्हें शारीरिक क्षति हुई है” पद के अंतर्गत [धारा 164] के अधीन प्रतिकर के लिए दावे भी हैं ।
(2) दावा अधिकरण उतने सदस्यों से मिलकर बनेगा जितने राज्य सरकार नियुक्त करना ठीक समझे और जहां वह दो या अधिक सदस्यों से मिलकर बनता है वहां उनमें से एक को उसका अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा।
(3) कोई व्यक्ति दावा अधिकरण के सदस्य के रूप में नियुक्ति के लिए तब तक अर्ह न होगा जब तक वह-
(क) उच्च न्यायालय का न्यायाधीश न हो या न रहा हो, या
(ख) जिला न्यायाधीश न हो या न रहा हो, या
(ग) उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में [या किसी जिला न्यायाधीश के रूप में] नियुक्ति के लिए अर्ह न हो।
(4) जहां किसी क्षेत्र के लिए दो या अधिक दावा अधिकरण गठित किए गए हैं वहां राज्य सरकार, साधारण या विशेष आदेश द्वारा, उनमें कामकाज के वितरण का विनियमन कर सकेगी।

Claims Tribunals-
(1) A State Government may, by notification in the Official Gazette, constitute one or more Motor Accidents Claims Tribunals (hereafter in this Chapter referred to as Claims Tribunal) for such area as may be specified in the notification for the purpose of adjudicating upon claims for compensation in respect of accidents involving the death of, or bodily injury to, persons arising out of the use of motor vehicles, or damages to any property of a third party so arising, or both.
Explanation- For the removal of doubts, it is hereby declared that the expression “claims for compensation in respect of accidents involving the death of or bodily injury to persons arising out of the use of motor vehicles” includes claims for compensation under [section 164].
(2) A Claims Tribunal shall consist of such number of members as the State Government may think fit to appoint and where it consists of two or more members, one of them shall be appointed as the Chairman thereof.
(3) A person shall not be qualified for appointment as a member of a Claims Tribunal unless he —
(a) is, or has been, a Judge of a High Court, or
(b) is, or has been, a District Judge, or
(c) is qualified for appointment as a Judge of a High Court [or as a District Judge].
(4) Where two or more Claims Tribunals are constituted for any area, the State Government, may by general or special order, regulate the distribution of business among them.

हमारा प्रयास मोटर वाहन अधिनियम (MV Act) की धारा 165 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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