fbpx

मोटर वाहन अधिनियम की धारा 176 | राज्य सरकार की नियम बनाने की शक्ति | MV Act, Section- 176 in hindi | Power of State Government to make rules.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए मोटर वाहन अधिनियम की धारा 176 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है मोटर वाहन अधिनियम की धारा- 176, साथ ही इस धारा के अंतर्गत क्या परिभाषित किया गया है, यह सभी जानकारी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

मोटर वाहन अधिनियम की धारा- 176 का विवरण

मोटर वाहन अधिनियम (Motor Vehicles Act) की धारा -176 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। इस अधिनियम के अधीन राज्य सरकार धारा 165 से धारा 174 तक के उपबंधों को कार्यान्वित करने के प्रयोजन के लिए नियम बना सकेगी और ऐसे नियम विशिष्टतया निम्नलिखित सभी बातों या उनमें से किसी के लिए उपबंध कर सकेंगे।

मोटर वाहन अधिनियम की धारा- 176 के अनुसार

राज्य सरकार की नियम बनाने की शक्ति-

राज्य सरकार धारा 165 से धारा 174 तक के उपबंधों को कार्यान्वित करने के प्रयोजन के लिए नियम बना सकेगी और ऐसे नियम विशिष्टतया निम्नलिखित सभी बातों या उनमें से किसी के लिए उपबंध कर सकेंगे, अर्थात् :-
(क) प्रतिकर के दावों के लिए आवेदन का प्ररूप तथा वे विशिष्टियां जो उनमें हो सकेंगी और वे फीसें, यदि कोई हों, जो ऐसे आवेदनों की बाबत दी जानी हैं;
(ख) इस अध्याय के अधीन जांच करने में दावा अधिकरण द्वारा अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया;
(ग) सिविल न्यायालय में निहित शक्तियां जिनका प्रयोग दावा अधिकरण कर सकेगा;
(घ) वह प्ररूप जिसमें और वह रीति जिससे तथा वह फीस (यदि कोई हो) जिसे देने पर दावा अधिकरण के अधिनिर्णय के विरुद्ध अपील की जा सकेगी; और
(ङ) कोई अन्य बात, जो विहित की जानी है या की जाए।

Power of State Government to make rules-
A State Government may make rules for the purpose of carrying into effect the provisions of sections 165 to 174, and in particular, such rules may provide for all or any of the following matters, namely :-
(a) the form of application for claims for compensation and the particulars it may contain, and the fees, if any, to be paid in respect of such applications;
(b) the procedure to be followed by a Claims Tribunal in holding an inquiry under this Chapter;
(c) the powers vested in a Civil Court which may be exercised by a Claims Tribunal;
(d) the form and the manner in which and the fees (if any) on payment of which an appeal may be preferred against an award of a Claims Tribunal; and
(e) any other matter which is to be, or may be, prescribed.

हमारा प्रयास मोटर वाहन अधिनियम (MV Act) की धारा 176 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

Leave a Comment