भारतीय न्याय संहिता की धारा 256 हिन्दी मे (BNS Act Section-256 in Hindi) –
अध्याय XIV
256. जो कोई किसी ऐसे पद पर होते हुए, जो उसे व्यक्तियों को विचारण के लिए या कारावास में सौंपने, या व्यक्तियों को कारावास में रखने का विधिक प्राधिकार देता है, भ्रष्टतापूर्वक या द्वेषपूर्वक किसी व्यक्ति को विचारण के लिए या कारावास में सौंपेगा, या किसी व्यक्ति को कारावास में रखेगा, उस प्राधिकार के प्रयोग में यह जानते हुए कि ऐसा करने में वह विधि के प्रतिकूल कार्य कर रहा है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
झूठे साक्ष्य और लोक न्याय के विरुद्ध अपराध
256. प्राधिकारी द्वारा किसी व्यक्ति को परीक्षण या कारावास के लिए
सौंपना, जो यह जानता है कि वह कानून के विपरीत कार्य कर रहा है।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 256 in English (BNS Act Section-256 in English) –
Chapter XIV
256. Whoever, being in any office which gives him legal authority to commit persons for trial or to confinement, or to keep persons in confinement, corruptly or maliciously commits any person for trial or to confinement, or keeps any person in confinement, in the exercise of that authority knowing that in so doing he is acting contrary to law, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, or with fine, or with both.
Of False Evidence and Offences Against Public Justice.
256. Commitment for trial or confinement by person having
authority who knows that he is acting contrary to law.