भारतीय न्याय संहिता की धारा 325 | Bharatiya Nyaya Sanhita Section 325

भारतीय न्याय संहिता की धारा 325 हिन्दी मे (BNS Act Section-325 in Hindi) –

अध्याय XVII
शरारत का।
325. रेल, वायुयान, डेक वाले जहाज या बीस टन भार वाले
जहाज को नष्ट करने या असुरक्षित बनाने के इरादे से की गई शरारत।

325. (1) जो कोई किसी रेल, वायुयान या डेक लगे जलयान या बीस टन या उससे अधिक भार वाले किसी जलयान को नष्ट करने या असुरक्षित बनाने के आशय से या यह सम्भाव्य जानते हुए कि वह उस रेल, वायुयान या जलयान को नष्ट कर देगा या असुरक्षित बना देगा, रिष्टि करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
(2) जो कोई अग्नि या किसी विस्फोटक पदार्थ द्वारा उपधारा (1) में वर्णित रिष्टि करेगा या करने का प्रयत्न करेगा, वह आजीवन कारावास से या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

Bharatiya Nyaya Sanhita Section 325 in English (BNS Act Section-325 in English) –

Chapter XVII
Of Mischief.
325. Mischief with intent to destroy or make unsafe a rail,
aircraft, decked vessel or one of twenty tons burden.

325. (1) Whoever commits mischief to any rail, aircraft, or a decked vessel or any vessel of a burden of twenty tons or upwards, intending to destroy or render unsafe, or knowing it to be likely that he will thereby destroy or render unsafe, that rail, aircraft or vessel, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to ten years, and shall also be liable to fine.
(2) Whoever commits, or attempts to commit, by fire or any explosive substance, such mischief as is described in sub-section (1), shall be punished with imprisonment for life or with imprisonment of either description for a term which may extend to ten years, and shall also be liable to fine.