भारतीय न्याय संहिता की धारा 327 | Bharatiya Nyaya Sanhita Section 327

भारतीय न्याय संहिता की धारा 327 हिन्दी मे (BNS Act Section-327 in Hindi) –

अध्याय XVII
आपराधिक अतिचार के संबंध में।
327. आपराधिक अतिचार और गृह-अतिचार।

327. (1) जो कोई किसी अन्य व्यक्ति के कब्जे में संपत्ति में या उस पर अपराध करने के इरादे से प्रवेश करता है या ऐसी संपत्ति पर कब्जा करने वाले किसी व्यक्ति को डराने, अपमानित करने या परेशान करने के इरादे से या ऐसी संपत्ति में या उस पर वैध रूप से प्रवेश करने के बाद, किसी ऐसे व्यक्ति को डराने, अपमानित करने या परेशान करने के इरादे से या अपराध करने के इरादे से अवैध रूप से वहां रहता है, उसे “आपराधिक अतिचार” कहा जाता है।
(2) जो कोई भी किसी भवन, तम्बू या मानव निवास के रूप में उपयोग किए जाने वाले बर्तन या पूजा के लिए या संपत्ति की अभिरक्षा के लिए उपयोग किए जाने वाले किसी भवन में प्रवेश करके या उसमें रहकर आपराधिक अतिचार करता है, उसे “गृह-अतिचार” कहा जाता है।
स्पष्टीकरण- आपराधिक अतिचारी के शरीर के किसी भी हिस्से का प्रवेश गृह-अतिचार का गठन करने के लिए पर्याप्त है।
(3) जो कोई भी आपराधिक अतिचार करता है, उसे किसी भी तरह के कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन महीने तक हो सकती है, या जुर्माने से जो पांच हजार रुपये तक हो सकता है, या दोनों से। (4) जो कोई गृह-अतिचार करेगा, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास से, जो एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माने से, जो पांच हजार रुपए तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों से, दंडित किया जाएगा।

Bharatiya Nyaya Sanhita Section 327 in English (BNS Act Section-327 in English) –

Chapter XVII
Of criminal trespass.
327. Criminal trespass and house-trespass.

327. (1) Whoever enters into or upon property in the possession of another with intent to commit an offence or to intimidate, insult or annoy any person in possession of such property or having lawfully entered into or upon such property, unlawfully remains there with intent thereby to intimidate, insult or annoy any such person or with intent to commit an offenceis said to commit “criminal trespass”.
(2) Whoever commits criminal trespass by entering into or remaining in any building, tent or vessel used as a human dwelling or any building used as a place for worship, or as a place for the custody of property, is said to commit “house-trespass”.
Explanation- The introduction of any part of the criminal trespasser’s body is entering sufficient to constitute house-trespass.
(3) Whoever commits criminal trespass shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to three months, or with fine which may extend to five thousand rupees, or with both.
(4) Whoever commits house-trespass shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to one year, or with fine which may extend to five thousand rupees, or with both.