भारतीय न्याय संहिता की धारा 52 हिन्दी मे (BNS Act Section-52 in Hindi) –
अध्याय IV
उकसाने, आपराधिक साजिश और प्रयास के विषय में
भारतीय न्याय संहिता की धारा 52. दुष्प्रेरक जब दुष्प्रेरित कार्य और किए गए कार्य के लिए संचयी दण्ड का भागी होगा।यदि वह कार्य जिसके लिए दुष्प्रेरक धारा 51 के अधीन उत्तरदायी है, दुष्प्रेरित कार्य के अतिरिक्त किया गया है, तथा एक पृथक अपराध है, तो दुष्प्रेरक प्रत्येक अपराध के लिए दण्ड का भागी है।
उदाहरण- A, B को लोक सेवक द्वारा किए गए संकट का बलपूर्वक प्रतिरोध करने के लिए उकसाता है। परिणामस्वरूप B उस संकट का प्रतिरोध करता है। प्रतिरोध करने में B स्वेच्छा से संकट को अंजाम देने वाले अधिकारी को गंभीर चोट पहुँचाता है। चूँकि B ने संकट का प्रतिरोध करने का अपराध तथा स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुँचाने का अपराध, दोनों ही किए हैं, इसलिए B इन दोनों अपराधों के लिए दण्ड का भागी है; तथा, यदि A जानता था कि संकट का प्रतिरोध करने में B स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुँचा सकता है, तो A प्रत्येक अपराध के लिए दण्ड का भागी होगा।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 52 in English (BNS Act Section-52 in English) –
Chapter IV
Of Incitement, criminal conspiracy and attempt
52. Abettor when liable to cumulative punishment for act abetted and for act done.If the act for which the abettor is liable under section 51 is committed in addition to the act abetted, and constitute a distinct offence, the abettor is liable to punishment for each of the offences.
Illustration- A instigates B to resist by force a distress made by a public servant. B, in consequence, resists that distress. In offering the resistance, B voluntarily causes grievous hurt to the officer executing the distress. As B has committed both the offence of resisting the distress, and the offence of voluntarily causing grievous hurt, B is liable to punishment for both these offences; and, if A knew that B was likely voluntarily to cause grievous hurt in resisting the distress, A will also be liable to punishment for each of the offences.