नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 129 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 129 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 129 का विवरण
दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 129 के अन्तर्गत यदि कोई कार्यपालक मजिस्ट्रेट या पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी या ऐसे भारसाधक अधिकारी की अनुपस्थिति में किसी विधिविरुद्ध जमाव को, या पांच या अधिक व्यक्तियों के किसी ऐसे जमाव को, जिससे लोकशान्ति विक्षुब्ध होने की सम्भावना है, तितर-बितर होने का समादेश दे सकता है और तब ऐसे जमाव के सदस्यों का यह कर्तव्य होगा कि वे तदनुसार तितर-बितर हो जाएं तो यह धारा 129 के अंतर्गत पुलिस अधिकारी को यह शक्ति होती है किसी मामले मे यदि वह जानता है कि समाज मे आशांति फैलायेंगे, तो सिविल बल के प्रयोग द्वारा जमाव को हटायेंगे।
जब कार्यपालक मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी व्दारा किसी मामले मे उसे प्रतीत होता है, कि यह भीड़ समाज मे आशांति फैलायेगी, तो उस मजिस्ट्रेट को यह शक्ति होती है, कि वह भीड़ हटाने के लिये सिविल बल का प्रयोग कर भीड़ को खत्म करे, चाहे भारसाधक अधिकारी या आदेश देने वाला या अधिकारी हो या न हो CrPC की धारा 129 समाज मे आशांति फैलायेंगे, तो सिविल बल के प्रयोग द्वारा भीड़ को हटाया जाये।
सीआरपीसी की धारा 129 के अनुसार
सिविल बल के प्रयोग द्वारा जमाव को तितर-बितर करना-
(1) कोई कार्यपालक मजिस्ट्रेट या पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी या ऐसे भारसाधक अधिकारी की अनुपस्थिति में उपनिरीक्षक की पंक्ति से अनिम्न कोई पुलिस अधिकारी किसी विधिविरुद्ध जमाव को, या पांच या अधिक व्यक्तियों के किसी ऐसे जमाव को, जिससे लोकशान्ति विक्षुब्ध होने की सम्भावना है, तितर-बितर होने का समादेश दे सकता है और तब ऐसे जमाव के सदस्यों का यह कर्तव्य होगा कि वे तदनुसार तितर-बितर हो जाएं।
(2) यदि ऐसा समादेश दिए जाने पर ऐसा कोई जमाव तितर-बितर नहीं होता है या यदि ऐसे समादिष्ट हुए बिना वह इस प्रकार से आचरण करता है, जिससे उसका तितर-बितर न होने का निश्चय दर्शित होता है, तो उपधारा (1) में निर्दिष्ट कोई कार्यपालक मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी उस जमाव को बल द्वारा तितर बितर करने की कार्यवाही कर सकता है और किसी पुरुष से, जो सशस्त्र बल का अधिकारी या सदस्य नहीं हैं और उस नाते कार्य नहीं कर रहा है, ऐसे जमाव को तितर-बितर करने के प्रयोजन के लिए, और यदि आवश्यक हो तो उन व्यक्तियों को, जो उसमें सम्मिलित हैं, इसलिए गिरफ्तार करने और परिरुद्ध करने के लिए कि ऐसा जमाव तितर-बितर किया जा सके या उन्हें विधि के अनुसार दंड दिया जा सके, सहायता की अपेक्षा कर सकता है।
Dispersal of assembly by use of civil force-
(1) Any Executive Magistrate or officer in charge of a police station or, in the absence of such officer in charge, any police officer, not below the rank of a sub-inspector, may command any unlawful assembly, or any assembly of five or more persons likely to cause a disturbance of the public peace, to disperse; and it shall thereupon be the duty of the members of such assembly to disperse accordingly.
(2) If, upon being so commanded, any such assembly does not disperse, or if, without being so commanded, it conducts itself in such a manner as to show a determination not to disperse, any Executive Magistrate or police officer referred to in sub-section (1), may proceed to disperse such assembly by force, and may require the assistance of any male person, not being an officer or member of the armed forces and acting as such, for the purpose of dispersing such assembly, and, if necessary. arresting and confining the persons who form part of it, in order to disperse such assembly or that they may be punished according to law.
हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 129 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।