सीआरपीसी की धारा 169 | जब साक्ष्य अपर्याप्त हो तब अभियुक्त का छोड़ा जाना | CrPC Section- 169 in hindi| Release of accused when evidence deficient.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 169 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 169 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 169 का विवरण

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 169 के अन्तर्गत जब किसी मामले मे जांच पर पुलिस अधिकारी अथवा भारसाधक अधिकारी को प्रतीत होता हो कि पर्याप्त साक्ष्य या सन्देह उचित आधार नही है, जिससे अभियुक्त को मजिस्ट्रेट के समक्ष भेजना उचित नही है तो पुलिस अधिकारी अथवा भारसाधक अधिकारी बन्धपत्र निष्पादित करने पर उसे छोड़ देगा और जब अपेक्षा की जाए तो और तब वह ऐसे मजिस्ट्रेट के समक्ष हाजिर होगा जो पुलिस रिपोर्ट पर ऐसे अपराध का संज्ञान करने के लिए, और अभियुक्त का विचारण करने या उसे विचारणार्थ सुपुर्द करने के लिए सशक्त है। यह धारा 169 ऐसे मामलों में पुलिस अधिकारी व्दारा अन्वेषण के पश्चात् साक्ष्य अपर्याप्त होने के अभियुक्त को छोडा जाना प्रक्रिया को बतलाता है।

सीआरपीसी की धारा 169 के अनुसार

जब साक्ष्य अपर्याप्त हो तब अभियुक्त का छोड़ा जाना—

यदि इस अध्याय के अधीन अन्वेषण पर पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को प्रतीत होता है कि ऐसा पर्याप्त साक्ष्य या सन्देह का उचित आधार नहीं है जिससे अभियुक्त को मजिस्ट्रेट के पास भेजना न्यायानुमत है तो ऐसा अधिकारी उस दशा में जिसमें वह व्यक्ति अभिरक्षा में है उसके द्वारा प्रतिभुओं के सहित या रहित, जैसा ऐसा अधिकारी निर्दिष्ट करे, यह बन्धपत्र निष्पादित करने पर उसे छोड़ देगा कि यदि और जब अपेक्षा की जाए तो और तब वह ऐसे मजिस्ट्रेट के समक्ष हाजिर होगा जो पुलिस रिपोर्ट पर ऐसे अपराध का संज्ञान करने के लिए, और अभियुक्त का विचारण करने या उसे विचारणार्थ सुपुर्द करने के लिए सशक्त है।

Release of accused when evidence deficient-
If, upon an investigation under this Chapter, it appears to the officer in charge of the police station that there is not sufficient evidence or reasonable ground of suspicion to justify the forwarding of the accused to a Magistrate, such officer shall, if such person is in custody, release him on his executing a bond, with or without sureties, as such officer may direct, to appear, if and when so required, before a Magistrate empowered to take cognizance of the offence on a police report, and to try the accused or commit him for trial.

हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 169 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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