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सीआरपीसी की धारा 288 | कमीशन का लौटाया जाना | CrPC Section- 288 in hindi| Return of commission.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 288 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 288 कब लागू होती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 288 का विवरण

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 288 के अन्तर्गत धारा 284 के अधीन जारी किए गए किसी कमीशन के सम्यक् रूप से निष्पादित किए जाने के पश्चात् वह उसके अधीन परीक्षित साक्षियों के अभिसाक्ष्य सहित उस न्यायालय या मजिस्ट्रेट को, जिसने कमीशन जारी किया था, लौटाया जाएगा; और वह कमीशन, उससे संबद्ध विवरणी और अभिसाक्ष्य सब उचित समयों पर पक्षकारों के निरीक्षण के लिए प्राप्य होंगे, और सब न्यायसंगत अपवादों के अधीन रहते हुए, किसी पक्षकार द्वारा मामले में साक्ष्य पढ़े जा सकेंगे और अभिलेख का भाग होंगे।

सीआरपीसी की धारा 288 के अनुसार

कमीशन का लौटाया जाना—

(1) धारा 284 के अधीन जारी किए गए किसी कमीशन के सम्यक् रूप से निष्पादित किए जाने के पश्चात् वह उसके अधीन परीक्षित साक्षियों के अभिसाक्ष्य सहित उस न्यायालय या मजिस्ट्रेट को, जिसने कमीशन जारी किया था, लौटाया जाएगा; और वह कमीशन, उससे संबद्ध विवरणी और अभिसाक्ष्य सब उचित समयों पर पक्षकारों के निरीक्षण के लिए प्राप्य होंगे, और सब न्यायसंगत अपवादों के अधीन रहते हुए, किसी पक्षकार द्वारा मामले में साक्ष्य पढ़े जा सकेंगे और अभिलेख का भाग होंगे।
(2) यदि ऐसे लिया गया कोई अभिसाक्ष्य, भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (1872 का 1) की धारा 33 द्वारा विहित शर्तों को पूरा करता है, तो वह किसी अन्य न्यायालय के समक्ष भी मामले के किसी पश्चात्वर्ती प्रक्रम में साक्ष्य में लिया जा सकेगा।

Return of commission-
(1) After any commission issued under Section 284 has been duly executed, it shall be returned, together with the deposition of the witness examined thereunder, to the Court or Magistrate issuing the commission; and the commission, the return thereto and the deposition shall be open at all reasonable times to inspection of the parties, and may, subject to all just exceptions, be read in evidence in the case by either party, and shall form part of the record.
(2) Any deposition so taken, if it satisfies the condition prescribed by Section 33 of the Indian Evidence Act, 1872 (1 of 1872), may also be received in evidence at any subsequent stage of the case before another Court.

हमारा प्रयास सीआरपीसी की धारा 288 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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