भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 87 | पुस्तकों, मानचित्रों और चार्टों के बारे में उपधारणा | Indian Evidence Act Section- 87 in hindi| Presumption as to books, maps and charts.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 87 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 87, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 87 का विवरण

भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 87 के अन्तर्गत न्यायालय यह उपधारित कर सकेगा कि कोई पुस्तक, जिसे वह लोक या साधारण हित सम्बन्धी बातों की जानकारी के लिए देखे और कोई प्रकाशित मानचित्र या चार्ट, जिसके कथन सुसंगत तथ्य हैं; और जो उसके निरीक्षणार्थ पेश किया गया है, उस व्यक्ति द्वारा तथा उस समय और उस स्थान पर लिखा गया और प्रकाशित किया गया था, जिसके द्वारा या जिस समय या स्थान पर उसका लिखा जाना या प्रकाशित होना तात्पर्यित है।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 87 के अनुसार

पुस्तकों, मानचित्रों और चार्टों के बारे में उपधारणा-

न्यायालय यह उपधारित कर सकेगा कि कोई पुस्तक, जिसे वह लोक या साधारण हित सम्बन्धी बातों की जानकारी के लिए देखे और कोई प्रकाशित मानचित्र या चार्ट, जिसके कथन सुसंगत तथ्य हैं; और जो उसके निरीक्षणार्थ पेश किया गया है, उस व्यक्ति द्वारा तथा उस समय और उस स्थान पर लिखा गया और प्रकाशित किया गया था, जिसके द्वारा या जिस समय या स्थान पर उसका लिखा जाना या प्रकाशित होना तात्पर्यित है।

Presumption as to books, maps and charts-
The Court may presume that any book to which it may refer for information on matters of public or general interest, and that any published map or chart, the statements of which are relevant facts and which is produced for its inspection, was written and published by the person and at the time and place, by whom or at which it purports to have been written or published.

हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 87 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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