किशोर न्याय अधिनियम की धारा 35 | Juvenile Justice Act Section 35

किशोर न्याय अधिनियम JJ Act (Juvenile Justice Act Section-35) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। किशोर न्याय अधिनियम की धारा 35 के अनुसार कोई माता-पिता या संरक्षक, जो ऐसे शारीरिक, भावात्मक और सामाजिक कारणों से, जो उसके नियंत्रण के परे हैं, बालक का अभ्यर्पण करना चाहता है, बालक को समिति के समक्ष पेश करेगा, जिसे JJ Act Section-35 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।

किशोर न्याय अधिनियम की धारा 35 (Juvenile Justice Act Section-35) का विवरण

किशोर न्याय अधिनियम की धारा 35 JJ Act Section-35 के तहत किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) कोई माता-पिता या संरक्षक, जो ऐसे शारीरिक, भावात्मक और सामाजिक कारणों से, जो उसके नियंत्रण के परे हैं, बालक का अभ्यर्पण करना चाहता है, बालक को समिति के समक्ष पेश करेगा।

किशोर न्याय अधिनियम की धारा 35 (JJ Act Section-35 in Hindi)

 बालकों का अभ्यर्पण

(1) कोई माता-पिता या संरक्षक, जो ऐसे शारीरिक, भावात्मक और सामाजिक कारणों से, जो उसके नियंत्रण के परे हैं, बालक का अभ्यर्पण करना चाहता है, बालक को समिति के समक्ष पेश करेगा ।
(2) यदि, जांच और परामर्श की विहित प्रक्रिया के पश्चात् समिति का समाधान हो जाता है तो, यथास्थिति, माता-पिता या संरक्षक द्वारा समिति के समक्ष अभ्यर्पण विलेख निष्पादित किया जाएगा ।
(3) ऐसे माता-पिता या संरक्षक को, जिसने बालक का अभ्यर्पण किया है, बालक के अभ्यर्पण संबंधी अपने विनिश्चय पर पुनः विचार करने के लिए दो मास का समय दिया जाएगा और अंतरिम अवधि में समिति, सम्यक् जांच के पश्चात् या तो बालक को माता-पिता या संरक्षक के पर्यवेक्षण के अधीन अनुज्ञात करेगी या यदि वह छह वर्ष से कम आयु का या की है तो वह बालक को किसी विशेषज्ञ दत्तक अभिकरण में रखेगी या यदि वह छह वर्ष से अधिक आयु का या की है तो बाल गृह में रखेगी।

Juvenile Justice Act Section-35 (JJ Act Section-35 in English)

Surrender of children

(1) A parent or guardian, who for physical, emotional and social factors beyond their control, wishes to surrender a child, shall produce the child before the Committee.
(2) If, after prescribed process of inquiry and counselling, the Committee is satisfied, a surrender deed shall be executed by the parent or guardian, as the case may be, before the Committee.
(3) The parents or guardian who surrendered the child, shall be given two months time to reconsider their decision and in the intervening period the Committee shall either allow, after due inquiry, the child to be with the parents or guardian under supervision, or place the child in a Specialised Adoption Agency, if he or she is below six years of age, or a childrens home if he is above six years.

हमारा प्रयास किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act Section) की धारा 35 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

Leave a Comment