किशोर न्याय अधिनियम JJ Act (Juvenile Justice Act Section-76) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। किशोर न्याय अधिनियम की धारा 76 के अनुसार जो कोई भीख मांगने के प्रयोजन के लिए बालक को नियोजित करता है या किसी बालक से भीख मंगवाएगा वह कारावास से दंडित किया जायेगा, जिसे JJ Act Section-76 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।
HIGHLIGHTS
किशोर न्याय अधिनियम की धारा 76 (Juvenile Justice Act Section-76) का विवरण
किशोर न्याय अधिनियम की धारा 76 JJ Act Section-76 के तहत किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) जो कोई भीख मांगने के प्रयोजन के लिए बालक को नियोजित करता है या किसी बालक से भीख मंगवाएगा वह कारावास से दंडित किया जायेगा।
किशोर न्याय अधिनियम की धारा 76 (JJ Act Section-76 in Hindi)
भीख मांगने के लिए बालक का नियोजन–
1) जो कोई भीख मांगने के प्रयोजन के लिए बालक को नियोजित करता है या किसी बालक से भीख मंगवाएगा वह कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी और एक लाख रुपए के जुर्माने से भी दंडनीय होगा:
परंतु यदि भीख मागने के प्रयोजन के लिए व्यक्ति बालक का अंगोच्छेदन करता है या उसे विकलांग बनाता है तो वह कारावास से, जो सात वर्ष से कम का नहीं होगा, किंतु जो दस वर्ष तक का हो सकेगा और पांच लाख रुपए तक के जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
(2) जो कोई बालक का वास्तविक भारसाधन या उस पर नियंत्रण रखते हुए उपधारा (1) के. अधीन किसी अपराध के कारित करने का दुष्प्रेरण करता है, वह उपधारा (1) में यथा उपबंधित शास्ति से, दंडनीय होगा और ऐसा व्यक्ति इस अधिनियम की धारा 2 के खंड (14) के उपखंड (v) के अधीन अयोग्य माना जाएगा :
परंतु ऐसे बालक को किन्हीं परिस्थितियों में विधि का उल्लंघन करने वाला नहीं माना जाएगा और उसे ऐसे संरक्षक या अभिरक्षक के भारसाधन या नियंत्रण से हटा लिया जाएगा और समुचित पुनर्वास के लिए समिति के समक्ष पेश किया जाएगा।
Juvenile Justice Act Section-76 (JJ Act Section-76 in English)
Employment of child for begging-
(1) Whoever employs or uses any child for the purpose of begging or causes any child to beg shall be punishable with imprisonment for a term which may extend to five years and shall also be liable to fine of one lakh rupees:
Provided that, if for the purpose of begging, the person amputates or maims the child, he shall be punishable with rigorous imprisonment for a term not less than seven years which may extend up to ten years, and shall also be liable to fine of five lakh rupees.
(2) Whoever, having the actual charge of, or control over the child, abets the commission of an offence under sub-section (1), shall be punishable with the same punishment as provided for in subsection (1) and such person shall be considered to be unfit under sub-clause (v) of clause (14) of section 2:
Provided that the said child, shall not be considered a child in conflict with law under any circumstances, and shall be removed from the charge or control of such guardian or custodian and produced before the Committee for appropriate rehabilitation.
हमारा प्रयास किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act Section) की धारा 76 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।