भारतीय न्याय संहिता की धारा 216 हिन्दी मे (BNS Act Section-216 in Hindi) –
अध्याय XIII
216. जो कोई किसी लोक सेवक के विधिपूर्ण प्राधिकार द्वारा किसी संपत्ति को लिए जाने का प्रतिरोध यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए करेगा कि वह ऐसा लोक सेवक है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो दस हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दंडित किया जाएगा।
लोक सेवकों के वैध प्राधिकार की अवमानना।
216. किसी लोक सेवक के वैध प्राधिकार द्वारा
संपत्ति लेने का प्रतिरोध।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 216 in English (BNS Act Section-216 in English) –
Chapter XIII
216. Whoever offers any resistance to the taking of any property by the lawful authority of any public servant, knowing or having reason to believe that he is such public servant, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to six months, or with fine which may extend to ten thousand rupees, or with both.
Of Contempts Of The Lawful Authority of Public Servants.
216. Resistance to the taking of property by the lawful
authority of a public servant.