भारतीय न्याय संहिता की धारा 234 हिन्दी मे (BNS Act Section-234 in Hindi) –
अध्याय XIV
234. जो कोई अपने द्वारा की गई या हस्ताक्षरित किसी घोषणा में, जिसे कोई न्यायालय या कोई लोक सेवक या अन्य व्यक्ति किसी तथ्य के साक्ष्य के रूप में लेने के लिए विधि द्वारा आबद्ध या प्राधिकृत है, कोई ऐसा कथन करेगा जो मिथ्या है और जिसके बारे में वह या तो जानता है या विश्वास करता है कि वह मिथ्या है या जिसके सत्य होने का उसे विश्वास नहीं है, जो उस उद्देश्य से तात्विक किसी बात के संबंध में है जिसके लिए वह घोषणा की गई है या उपयोग की गई है, वह उसी प्रकार दंडित किया जाएगा मानो उसने मिथ्या साक्ष्य दिया हो।
झूठे साक्ष्य और लोक न्याय के विरुद्ध अपराध
234. घोषणा में दिया गया झूठा बयान, जो कानूनन
साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जा सकता है।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 234 in English (BNS Act Section-234 in English) –
Chapter XIV
234. Whoever, in any declaration made or subscribed by him, which declaration any Court or any public servant or other person, is bound or authorised by law to receive as evidence of any fact, makes any statement which is false, and which he either knows or believes to be false or does not believe to be true, touching any point material to the object for which the declaration is made or used, shall be punished in the same manner as if he gave false evidence.
Of False Evidence and Offences Against Public Justice.
234. False statement made in declaration
which is by law receivable as evidence.