भारतीय न्याय संहिता की धारा 236 | Bharatiya Nyaya Sanhita Section 236

भारतीय न्याय संहिता की धारा 236 हिन्दी मे (BNS Act Section-236 in Hindi) –

अध्याय XIV
झूठे साक्ष्य और लोक न्याय के विरुद्ध अपराध
236. अपराध के साक्ष्य को गायब करना, या अपराधी
को बचाने के लिए गलत जानकारी देना।

236. जो कोई यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि कोई अपराध किया गया है, उस अपराध के किए जाने के किसी साक्ष्य को अपराधी को विधिक दण्ड से बचाने के आशय से लुप्त कर देगा या उस आशय से उस अपराध के सम्बन्ध में कोई ऐसी सूचना देगा जिसके बारे में वह जानता है या विश्वास करता है कि वह मिथ्या है, तो वह-
(क) यदि वह अपराध जिसके बारे में वह जानता है या विश्वास करता है कि वह किया गया है मृत्यु दण्ड से दण्डनीय है, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा;
(ख) यदि वह अपराध आजीवन कारावास या दस वर्ष तक की हो सकने वाली कारावास से दण्डनीय है, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा;
(ग) यदि वह अपराध दस वर्ष से अनधिक अवधि के कारावास से दण्डनीय है, तो वह उस अपराध के लिए उपबन्धित भांति के कारावास से, जिसकी अवधि अपराध के लिए उपबन्धित कारावास की सबसे लम्बी अवधि के एक-चौथाई तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
उदाहरण-
A, यह जानते हुए कि B ने Z की हत्या की है, B को दण्ड से बचाने के इरादे से शव को छिपाने में B की सहायता करता है। A को सात वर्ष के कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।

Bharatiya Nyaya Sanhita Section 236 in English (BNS Act Section-236 in English) –

Chapter XIV
Of False Evidence and Offences Against Public Justice.
236. Causing disappearance of evidence of offence,
or giving false information to screen offender.

236. Whoever, knowing or having reason to believe that an offence has been committed, causes any evidence of the commission of that offence to disappear, with the intention of screening the offender from legal punishment, or with that intention gives any information respecting the offence which he knows or believes to be false shall,-
(a) if the offence which he knows or believes to have been committed is punishable with death be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, and shall also be liable to fine;
(b) if the offence is punishable with imprisonment for life, or with imprisonment which may extend to ten years, be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to three years, and shall also be liable to fine;
(c) if the offence is punishable with imprisonment for any term not extending to ten years, be punished with imprisonment of the description provided for the offence, for a term which may extend to one-fourth part of the longest term of the imprisonment provided for the offence, or with fine, or with both.
Illustration-
A, knowing that B has murdered Z, assists B to hide the body with the intention of screening B from punishment. A is liable to imprisonment of either description for seven years, and also to fine.