भारतीय न्याय संहिता की धारा 355 हिन्दी मे (BNS Act Section-355 in Hindi) –
अध्याय XIX
355. जो कोई, किसी ऐसे व्यक्ति की सेवा करने या आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए वैध संविदा द्वारा आबद्ध होते हुए, जो युवावस्था या मानसिक रुग्णता या रोग या शारीरिक दुर्बलता के कारण अपनी सुरक्षा या अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में असहाय या असमर्थ है, ऐसा करने में स्वेच्छा से चूक करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पांच हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
असहाय व्यक्ति की आवश्यकताओं की पूर्ति करने तथा
उनकी देखभाल करने के लिए अनुबंध का उल्लंघन।
355. असहाय व्यक्ति की आवश्यकताओं की पूर्ति करने
तथा उनकी देखभाल करने के लिए अनुबंध का उल्लंघन।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 355 in English (BNS Act Section-355 in English) –
Chapter XIX
355. Whoever, being bound by a lawful contract to attend on or to supply the wants of any person who, by reason of youth, or of mental illness, or of a disease or bodily weakness, is helpless or incapable of providing for his own safety or of supplying his own wants, voluntarily omits so to do, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to three months, or with fine which may extend to five thousand rupees, or with both.
Of breach of contract to attend on
and supply wants of helpless person.
355. Breach of contract to attend on
and supply wants of helpless person.