भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 | Bharatiya Nyaya Sanhita Section 356

भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 हिन्दी मे (BNS Act Section-356 in Hindi) –

अध्याय XIX
असहाय व्यक्ति की आवश्यकताओं की पूर्ति करने तथा
उनकी देखभाल करने के लिए अनुबंध का उल्लंघन।
356. निरसन और बचत।

356. (1) भारतीय दंड संहिता इसके द्वारा निरसित की जाती है।
(2) उपधारा (1) में निर्दिष्ट संहिता के निरसन के बावजूद, यह निम्नलिखित को प्रभावित नहीं करेगा,-
(क) इस प्रकार निरसित संहिता का पूर्व संचालन या उसके अधीन सम्यक् रूप से किया गया या भुगता गया कोई कार्य; या
(ख) इस प्रकार निरसित संहिता के अधीन अर्जित, प्रोद्भूत या उपगत कोई अधिकार, विशेषाधिकार, दायित्व या दायित्व; या
(ग) इस प्रकार निरसित संहिता के विरुद्ध किए गए किसी अपराध के संबंध में उपगत कोई शास्ति या दंड; या
(घ) किसी ऐसे शास्ति या दंड के संबंध में कोई जांच या उपाय; या
(ङ) पूर्वोक्त किसी ऐसे शास्ति या दंड के संबंध में कोई कार्यवाही, जांच या उपाय, और ऐसी कोई कार्यवाही या उपाय संस्थित, जारी या लागू किया जा सकेगा, और ऐसा कोई दंड लगाया जा सकेगा मानो वह संहिता निरसित न की गई हो।
(3) ऐसे निरसन के होते हुए भी, उक्त संहिता के अधीन की गई कोई बात या की गई कोई कार्रवाई इस संहिता के संगत उपबंधों के अधीन की गई समझी जाएगी।
(4) उपधारा (2) में विशेष मामलों का उल्लेख निरसन के प्रभाव के संबंध में साधारण खंड अधिनियम, 1897 की धारा 6 के सामान्य अनुप्रयोग पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला नहीं माना जाएगा।

Bharatiya Nyaya Sanhita Section 356 in English (BNS Act Section-356 in English) –

Chapter XIX
Of breach of contract to attend on
and supply wants of helpless person.
356. Repeal and savings.

356. (1) The Indian Penal Code is hereby repealed.
(2) Notwithstanding the repeal of the Code referred to in sub-section (1), it shall not affect,-
(a) the previous operation of the Code so repealed or anything duly done or suffered thereunder; or
(b) any right, privilege, obligation or liability acquired, accrued or incurred under the Code so repealed; or
(c) any penalty, or punishment incurred in respect of any offences committed against the Code so repealed; or
(d) any investigation or remedy in respect of any such penalty, or punishment; or
(e) any proceeding, investigation or remedy in respect of any such penalty or punishment as aforesaid, and any such proceeding or remedy may be instituted, continued or enforced, and any such penalty may be imposed as if that Code had not been repealed.
(3) Notwithstanding such repeal, anything done or any action taken under the said Code shall be deemed to have been done or taken under the corresponding provisions of this Sanhita.
(4) The mention of particular matters in sub-section (2) shall not be held to prejudice or affect the general application of section 6 of the General Clauses Act,1897 with regard to the effect of the repeal.