भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 237 | Indian Contract Act Section 237

भारतीय संविदा अधिनियम Indian Contract Act (ICA Section-237) in Hindi के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 237 के अनुसार जब कि अभिकर्ता ने प्राधिकार के बिना अपने मालिक की ओर से कार्य किए हों या पर-व्यक्तियों के प्रति बाध्यताएं उपगत की हों तब मालिक ऐसे कार्यों या बाध्यताओं से आबद्ध होगा, यदि मालिक ने अपने शब्दों या आचरण से ऐसे पर-व्यक्तियों को यह विश्वास करने के लिए उत्प्रेरित किया हो कि ऐसे कार्य और बाध्यताएं उस अभिकर्ता के प्राधिकार के विस्तार के भीतर थी, जिसे IC Act Section-237 के अन्तर्गत परिभाषित किया गया है।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 237 (Indian Contract Act Section-237) का विवरण

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 237 IC Act Section-237 के अनुसार जब कि अभिकर्ता ने प्राधिकार के बिना अपने मालिक की ओर से कार्य किए हों या पर-व्यक्तियों के प्रति बाध्यताएं उपगत की हों तब मालिक ऐसे कार्यों या बाध्यताओं से आबद्ध होगा, यदि मालिक ने अपने शब्दों या आचरण से ऐसे पर-व्यक्तियों को यह विश्वास करने के लिए उत्प्रेरित किया हो कि ऐसे कार्य और बाध्यताएं उस अभिकर्ता के प्राधिकार के विस्तार के भीतर थी।

भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 237 (IC Act Section-237 in Hindi)

यह विश्वास उत्प्रेरित करने वाले मालिक का दायित्व कि अभिकर्ता के अप्राधिकृत कार्य प्राधिकृत थे-

जब कि अभिकर्ता ने प्राधिकार के बिना अपने मालिक की ओर से कार्य किए हों या पर-व्यक्तियों के प्रति बाध्यताएं उपगत की हों तब मालिक ऐसे कार्यों या बाध्यताओं से आबद्ध होगा, यदि मालिक ने अपने शब्दों या आचरण से ऐसे पर-व्यक्तियों को यह विश्वास करने के लिए उत्प्रेरित किया हो कि ऐसे कार्य और बाध्यताएं उस अभिकर्ता के प्राधिकार के विस्तार के भीतर थी।
दृष्टांत
(क) क विक्रय के लिए माल ख को प्रेषित रखता है और उसे अनुदेश देता है कि वह उसे नियत कीमत से कम पर न बेचे। ख को दिए गए अनुदेशों को न जानते हुए ग आरक्षित कीमत से कम कीमत पर उस माल को खरीदने की ख से संविदा करता है । क उस संविदा से आबद्ध है।
(ख) क ऐसी परक्राम्य लिखत, जिन पर निरंक पृष्ठांकन है, ख के पास न्यस्त करता है। क के प्राइवेट आदेशों का अतिक्रमण कर ख उन्हें ग को बेच देता है। विक्रय ठीक है।

Indian Contract Act Section-237 (IC Act Section-237 in English)

Liability of principal inducing belief that agent’s unauthorized acts were authorized-

When an agent has, without authority, done acts or incurred obligations to third persons on behalf of his principal, the principal is bound by such acts or obligations, if he has by his words or conduct induced such third persons to believe that such acts and obligations were within the scope of the agent‟s authority.
Illustrations
(a) A consigns goods to B for sale, and gives him instructions not to sell under a fixed price. C, being ignorant of B‟s instructions, enters into a contract with B to buy the goods at a price lower than the reserved price. A is bound by the contract.
(b) A entrusts B with negotiable instruments endorsed in blank. B sells them to C in violation of private orders from A. The sale is good.

हमारा प्रयास भारतीय संविदा अधिनियम (Indian Contract Act Section) की धारा 237 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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