भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 107 | उस व्यक्ति की मृत्यु साबित करने का भार जिसका तीस वर्ष के भीतर जीवित होना ज्ञात है | Indian Evidence Act Section- 107 in hindi| Burden of proving death of person known to have been alive within thirty years.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 107 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 107, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

धारा 107 का विवरण

भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 107 के अन्तर्गत जब प्रश्न यह है कि कोई मनुष्य जीवित है या मर गया है, और यह दर्शित किया गया है कि वह तीस वर्ष के भीतर जीवित था, तब यह साबित करने का भार कि वह मर गया है उस व्यक्ति पर है, जो उसे प्रतिज्ञात करता है।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 107 के अनुसार

उस व्यक्ति की मृत्यु साबित करने का भार जिसका तीस वर्ष के भीतर जीवित होना ज्ञात है–

जबकि प्रश्न यह है कि कोई मनुष्य जीवित है या मर गया है, और यह दर्शित किया गया है कि वह तीस वर्ष के भीतर जीवित था, तब यह साबित करने का भार कि वह मर गया है उस व्यक्ति पर है, जो उसे प्रतिज्ञात करता है।

Burden of proving death of person known to have been alive within thirty years-
When the question is whether a man is alive or dead, and it is shown that he was alive within thirty years, the burden of proving that he is dead is on the person who affirms it.

हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 107 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

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