fbpx

पॉक्सो एक्ट (POCSO ACT) 2012 सजा, जमानत व बदलाव इत्यादि संपूर्ण जानकारी (Punishment, Bail and Amendment full Information)

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपको पॉक्सो एक्ट (POCSO ACT) की सम्पूर्ण जानकारी देंगे। हम सभी आये दिन बाल यौन शोषण के बारे में देख व सुन रहे हैं। आज हमारे देश में बच्चों का यौन शोषण एक सामुदायिक चिंता का विषय बन है।

आज हम इस लेख के माध्यम से (POCSO ACT 2012)  की सम्पूर्ण जानकारी देने का प्रयास करेगें, साथ ही इसका अर्थ सजा और जमानत, और समय के साथ क्या क्या  बदलाव किए गए हैं इन सभी विषयों पर चर्चा करेंगे।
बाल यौन शोषण, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण हेतु (POCSO) अधिनियम एक ऐतिहासिक कानून बनाया गया है। जो दिनांक 19 जून 2012 कांग्रेस सरकार द्वारा राष्ट्रपति की स्वीकृति के पश्चात् लागू किया गया।

पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) क्या है?

बाल यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने के लिए पॉक्सो एक्ट (POCSO ACT) लागू किया गया। जिसका पूरा नाम है The Protection Of Children From Sexual Offences Act (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट) अधिनियम बनाया गया है।  इस अधिनियम (कानून) को महिला और बाल विकास मंत्रालय ने साल 2012 पॉक्सो एक्ट-2012 के नाम से बनाया था। इस कानून के जरिए नाबालिग बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है। इस कानून के अंतर्गत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा निर्धारित की गई है।

पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) अधिनियम कहाँ पर लागू होता है और ट्रायल कैसे होता है?

यह अधिनियम पूरे भारत पर लागू होता है, सिवाय जम्मू और कश्मीर के। पॉक्सो कनून के तहत सभी अपराधों की सुनवाई, एक विशेष न्यायालय द्वारा कैमरे के सामने बच्चे के माता पिता या जिन लोगों पर बच्चा भरोसा करता है, उनकी उपस्थिति में होती है, साथ ही महिला पुलिस द्वारा सादी वर्दी में किसी अन्य स्थान पर न कि थाने में जांच की कार्यवाही होती है। इसके साथ ही पीड़िता का नाम और पहचान ट्रायल पूर्ण होने तक छिपाई जाती है, जिससे पीड़िता और उसके परिजन को किसी प्रकार की धमकी अथवा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा प्रताड़ना न सहना पड़े।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार पॉक्सो एक्ट के मामले-

NCRB द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, पॉक्सो के तहत दर्ज मामले 2017 में 32,608 से बढ़कर 2019 में 47,325 हो गए, जो कि केवल दो वर्षों में लगभग 45% की वृद्धि है।

पॉक्सो एक्ट (POCSO ACT) में Amendment के पश्चात् कानून मे बदलाव-

मोदी सरकार आने के पश्चात् इस कानून में बहुत से महत्वपूर्ण बदलाव हुए है, पहले अधिकतम् सजा 7 से 10 वर्ष तक सजा का प्रावधान है, लेकिन अब 12 साल से कम उम्र की लड़कियों के बलात्कार के दोषी को मौत की सजा पर कैबिनेट के मुहर लगाने का प्रस्‍ताव रखा गया। साथ 16 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के बलात्कार के दोषी को न्यूनतम् 20 वर्ष और अधिकतम् उम्रकैद की सजा पर कैबिनेट के मुहर लगाने का प्रस्‍ताव रखा गया।

अर्थात् पहले पॉक्सो एक्ट में अधिकतम् सजा का प्रावधान 7 से 10 वर्ष, साथ ही अग्रिम जमानत भी मिल सकती थी, लेकिन केंद्र सरकार बदलाव के पश्चात् यह कानून और भी सख्त हो गया है, अब न्यूनतम् सजा का प्रावधान 20 वर्ष और अधिकतम् उम्रकैद और उन मामलों में जिसमें पीड़ित की उम्र 12 वर्ष से कम है, वहां मृत्यु दंड का भी प्रावधान है।

पॉक्सो एक्ट के मामले में कम से कम 2 माह और अधिकतम् 6 माह के भीतर मामले की जांच के उपरांत निस्तारित करना आवश्यक होगा।

पहले ऐसे मामलो मे न्यायायिक कोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत का प्रावधान था, लेकिन नए बदलाव के तहत अग्रिम जमानत नही मिलेगी।

ऐसे मामलो के निस्तारण करने के 1023 नए फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (FTSC) बनाए जायेंगे, साथ ही जिन प्रदेशो में 100 से अधिक ऐसे मामले पेंडिंग पड़े हुए है, उन मामलो की अतिशीघ्र सुनवाई हेतु स्पेशल कोर्ट बनाए जायेंगे।

पॉक्सो एक्ट (POCSO ACT) के तहत आसाराम को नाबालिग से रेप का दोषी करार दिया जाता है आसाराम को आजीवन कारावास की सजा वर्ष 2018 को सुनाई गई थी।

पॉक्सो एक्ट में अब होगी सजा व फांसी-

केंद्र सरकार द्वारा इस कानून में संशोधन के पश्चात् पुनः इस कानून को सख्त बनाने के उद्देश्य से यह फैसला लिया गया कि दोषियों को मौत की सजा दी जाएगी। बैठक में प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस POCSO (पॉक्सो) में बदलाव की बात कही गई और इसके अंतर्गत 12 साल से कम उम्र की लड़कियों के बलात्कार के दोषी को मौत की सजा पर कैबिनेट के मुहर लगाने का प्रस्‍ताव रखा गया, जिसको बाद में कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा दी। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में सरकार द्वारा बच्चों के यौन अपराधों से संरक्षण अधिनियम (पॉक्‍सो एक्‍ट) में बदलाव लाया गया और आरोपी को फांसी की सजा पर एक अध्यादेश जारी किया। इसके साथ ही यदि किसी 16 वर्ष की उम्र की लड़कियों के बलात्कार के दोषी को न्यूनतम् 20 वर्ष के लिए कारावास और अधिकतम् उम्रकैद की सजा का प्रावधान है।

अब कानून में बदलाव होने के पश्चात् जो कोई 12 साल तक की बच्ची के साथ दुष्कर्म के दोषी को मौत की सजा का प्रावधान किया गया  है। पॉक्सो (POCSO) के पहले के प्रावधानों की बात की जाये तो इसके मुताबिक दोषियों के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद और न्‍यूनतम सजा 7 साल जेल थी। इस कानून के दायरे में 18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का यौन व्यवहार शामिल है।

लड़की-लड़के दोनों संशोधित कानून के दायरे में शामिल

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने लड़की-लड़कों दोनों यानी बच्चों को यौन उत्पीड़न से बचाने के बाल यौन अपराध संरक्षण कानून (पॉक्सो) 2012 में संशोधन को मंजूरी दी है। इस संशोधित कानून में 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ दुष्कर्म करने पर मौत की सजा तक का प्रावधान है।इसके अलावा बाल यौन उत्पीड़न के अन्य अपराधों की भी सजा कड़ी करने का प्रस्ताव भी रखा गया है।

पोक्सो एक्ट के अन्तर्गत मीडिया के लिए विशेष दिशा निर्देश (प्रावधान)

धारा 20 के अनुसार मीडिया किसी बालक के लैंगिक शोषण संबंधी किसी भी प्रकार की सामग्री जो उसके पास उपलब्ध हो, वह स्थानीय पुलिस को उपलब्ध करायएगा। ऐसा ना करने पर यह कृत्य अपराध की श्रेणी में माना जाएगा।
कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार के मीडिया या स्टूडियों या फोटोग्राफी सुविधाओं से पूर्ण और अधिप्रमाणित सूचना के बिना किसी बालक के सम्बन्ध में कोई रिपोर्ट या उस पर कोई टिप्पणी नहीं करेगा, जिससे उसकी प्रतिष्ठा हनन या उसकी गोपनीयता का उल्लंघन होता हों।
किसी मीडिया से कोई रिपोर्ट बालक की पहचान जिसके अन्तर्गत उसका नाम, पता, फोटोचित्र परिवार के विवरणों, विधालय, पड़ोसी या किन्हीं अन्य विवरण को प्रकट नहीं किया जायेगा।
परन्तु ऐसे कारणों से जो अभिलिखित किये जाने के पश्चात सक्षम विशेष न्यायालय की अनुमति प्राप्त कर किया जा सकेगा यदि उसकी राय में ऐसा प्रकरण बालक के हित में है।
मीडिया स्टूडियों का प्रकाशक या मालिक संयुक्त रूप से और व्यक्तिगत रूप से अपने कर्मचारी के कार्यों के किसी कार्य के लिए उत्तरदायी होगा। इन प्रावधानों का उल्लंघन करने पर 6 माह से 1 वर्ष के कारावास या जुर्माने या दोनों से दण्डित किया जायेगा।

पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) में मेडिकल जाँच

यहाँ आपको बता दें की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस की यह जवाबदेही हैं कि पीड़ित का मामला 24 घंटो के अन्दर बाल कल्याण समिति के सामने लाया जाए, जिससे पीड़ित की सुरक्षा के लिए जरुरी कदम उठाये जा सके, इसके साथ ही बच्चे की मेडिकल जाँच करवाना भी अनिवार्य हैं | ये मेडिकल परीक्षण बच्चे के माता-पिता या किसी अन्य व्यक्ति की उपस्थिति में किया जायेगा जिस पर बच्चे का विश्वास हो, और पीड़ित अगर लड़की है तो उसकी मेडिकल जांच महिला चिकित्सक द्वारा ही की जानी चाहिए |

पास्को (POCSO Act) एक्ट से बचाव?

पास्को एक्ट से बचने के लिए कोई उपाय अब नहीं है, क्योंकि बदलाव से पहले इस कानून में अग्रिम जमानत का प्रावधान था, लेकिन अब अग्रिम जमानत नही मिल सकेगी। हालाँकि अगर ये साबित होता है कि उम्र सीमा 18 से ज्यादा है तब ही केवल इस धारा को हटाया जायेगा अन्यथा किसी भी सूरत में पास्को एक्ट से नहीं बचा जा सकता।

POCSO अधिनियम की प्रमुख विशेषताएं:-

इस अधिनियम में बच्चों को 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों के रूप में परिभाषित किया गया है।
यह अधिनियम लिंग तटस्थ है, इसका अर्थ यह है कि अपराध और अपराधियों के शिकार पुरुष, महिला या तीसरे लिंग हो सकते हैं।
यह एक नाबालिग के साथ सभी यौन गतिविधि को अपराध बनाकर यौन सहमति की उम्र को 16 साल से 18 साल तक बढ़ा देता है।
अधिनियम में यह भी बताया गया है कि यौन शोषण में शारीरिक संपर्क शामिल हो सकता है या शामिल नहीं भी हो सकता है।
अधिनियम बच्चे के बयान को दर्ज करते समय और विशेष अदालत द्वारा बच्चे के बयान के दौरान जांच एजेंसी द्वारा विशेष प्रक्रियाओं का पालन करता है।
सभी के लिए अधिनियम के तहत यौन अपराध के बारे में पुलिस को रिपोर्ट करना अनिवार्य है, और कानून में गैर-रिपोर्टिंग के लिए दंड का प्रावधान शामिल किया गया है।
इस अधिनियम में यह सुनिश्चित करने के प्रावधान हैं कि एक बच्चे की पहचान जिसके खिलाफ यौन अपराध किया जाता है, मीडिया द्वारा खुलासा नहीं किया जायेगा ।
बच्चों को पूर्व-परीक्षण चरण और परीक्षण चरण के दौरान अनुवादकों, दुभाषियों, विशेष शिक्षकों, विशेषज्ञों, समर्थन व्यक्तियों और गैर-सरकारी संगठनों के रूप में अन्य विशेष सहायता प्रदान की जानी है।
बच्चे अपनी पसंद या मुफ्त कानूनी सहायता के वकील द्वारा कानूनी प्रतिनिधित्व के हकदार हैं।
इस अधिनियम में पुनर्वास उपाय भी शामिल हैं, जैसे कि बच्चे के लिए मुआवजे और बाल कल्याण समिति की भागीदारी शामिल है ।
क्या वकीलों को अपने कार्यों का विज्ञापन देने की अनुमति है

POCSO (पॉक्सो एक्ट) Act का Full Form पूरा नाम

आइये जानते हैं  POCSO Act की फुल फॉर्म क्या होती है इसे यानि POCSO Act  को The Protection Of Children From Sexual Offences Act (प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट) कहते हैं इस अधिनियम (कानून) को महिला और बाल विकास मंत्रालय ने साल 2012 पोक्सो एक्ट-2012 के नाम से बनाया था। ये POCSO Act भारत के सभी नागरिकों पर लागू है।  पोक्सो एक्ट-2012 में कुल 46 धाराएं  हैं।

1-संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ

2-परिभाषाएं

3-प्रवेशन लैंगिक हमला

4-प्रवेशन लैंगिक हमला के लिए दंड

5-गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमला

6-गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमला का दंड

7-लैंगिक हमला

8-लैंगिक हमला का दंड

9-गुरुतर लैंगिक हमला

10-गुरुतर लैंगिक हमला का दंड

11-लैंगिक उत्पीड़न

12-लैंगिक उत्पीड़न का दंड

13-अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग

14-अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग का दंड

15-बालक को सम्मिलित करने वाली अश्लील सामग्री के भंडारकरण के लिए दंड

16-किसी अपराध का दुष्प्रेरण

17-दुष्प्रेरण के लिए दंड

18-किसी अपराध को करने के प्रयत्न के लिए दंड

19-अपराधों की रिपोर्ट करना

20-मामले को रिपोर्ट करने के लिए मिडिया , स्टूडियो और फोटो चित्रण सुविधाओं की बाध्यता

21-मामले को रिपोर्ट करने या अभिलिखित करने में विफल रहने के लिए दंड

22-मिथ्या परिवाद या मिथ्या सूचना के लिए दंड

23-मीडिया के लिए प्रक्रिया

24-बालक के कथनों को अभिलिखित किया जाना

25-मजिस्ट्रेट द्वारा बालक के कथन का अभिलेखन

26-अभिलिखित किए जाने वाले कथन के संबंध में अतिरिक्त उपबंध

27-बालक की चिकित्सीय परीक्षा

28-विशेष न्यायालयों को अभिहित किया जाना

29-कतिपय अपराधों के बारे में उपधारणा

30-आपराधिक मानसिक दशा की उपधारणा

31-विशेष न्यायालय के समक्ष कार्यवाहियों को दंड प्रक्रिया संहिता 1973 का लागू होना

32- विशेष लोक अभियोजक

33-विशेष न्यायालयों की प्रक्रिया और शक्तियां

34-बालक द्वारा अपराध किये जाने और विशेष न्यायालय द्वारा आयु का अवधारण करने के मामले में प्रक्रिया

35-बालक के साक्ष्य को अभिलिखित और मामले का निपटारा करने के लिए अवधि

36-साक्ष्य देते समय बालक का अभियुक्त को न दिखना

37-विचारण का बंद कमरे में संचालन

38-बालक का साक्ष्य अभिलिखित करते समय किसी दुभाषिया या विशेषज्ञ की सहायता लेना

39-विशेषज्ञ आदि की सहायता लेने के लिए बालक के लिए मार्गनिर्देश

40-विधिक काउंसेल की सहायता लेने का बालक का अधिकार

41-कतिपय मामलो में धारा 3 से धारा 13 तक के उपबंध का लागू न होना

42-अनुकल्पिक दंड

42A-अधिनियम का किसी अन्य विधि के अल्पीकरण में न होना

43-अधिनियम के बारे में लोक जागरूकता

44-अधिनियम के क्रियान्वयन की मानीटरी

45-नियम बनाने की शक्ति

46-कठिनाइयां दूर करने की शक्ति

हमारा प्रयास पॉक्सो एक्ट (POCSO ACT) की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप बेझिझक कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।
धन्यवाद

7 thoughts on “पॉक्सो एक्ट (POCSO ACT) 2012 सजा, जमानत व बदलाव इत्यादि संपूर्ण जानकारी (Punishment, Bail and Amendment full Information)”

    • 16 साल की लड़की अगर जहर खाके खत्म हो जाती है और वह सुसाइड नोट में जब नाम लिख जाती है और कुछ नहीं तो उसके पास से धारा लगेगी या नहीं यह बताओ ना आप पास पास्को एक्ट धारा लगेगी या नहीं क्योंकि सुसाइड नोट में सिर्फ नाम लिखा है और जहां कुछ नहीं मैं ऐसा मैटर है तो क्या होगा

      Reply
  1. Sir agar kisi nabalig larka pe 4pocso धारा 376ka case ho jaye larki v nabalig ho or larka larki ak dusre se pyar karte the or oo dono sadi karna chahte h sir larka abhi बालक गृह me hai kya nabalig larka ko v saja milegi latki 164ka बयान me boli h ki h ki dono ki sahmati se physical huaa tabhi pe sir larka ko saja milegi

    Reply
    • बालगृह मे ही रहेगा, जब तक बालिग नही हो जाता और लड़की के बयान मायने रखता है, लेकिन अभी नाबालिक के कारण उसका बयान उतना मायने नही रखेगा, क्योकि नाबालिक का ब्रेन उतना परिपक्क नही होता। लड़की बालिग होने तक बयान न बदल दे। हाइकोर्ट से ही कुछ राहत मिल सकेगी।

      Reply
    • जब केस की सुनवाई होगी, और लड़की लड़के के पक्ष में गवाही दे देंगी तो छूट सकेगा।

      Reply

Leave a Comment