एससी/एसटी एक्ट क्या है?|SC/ST Act in Hindi|जमानत एवंम् सजा का प्रावधान

SC ST Act 1989 बनाने का मकसद सिर्फ इतना सा था कि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति का समाज मे जातिवाद के आधार पर कोई किसी का अपमान या उसके अधिकारो का हनन न कर सके।

भारत देश की आजादी के बाद समाज मे जातिवाद और ऊंच-नीच और अधिक बढ़ा क्योकि हमारे समाज मे कोई भी वाद उत्पन्न होता है, तो सबसे पहले जाति वाद को ही मुद्धा बनाया जाता है, जिसको लेकर समाज मे जातिवाद का भेद-भाव कभी खत्म ही नही हुआ, जिसके कारण भारत मे यह कानून लाया गया। जब यह कानून लाया गया तो इस कानून के मद मे कहा गया कि आने वाले समय मे जब यह जातिगत् भेद-भाव मे कमी होगी, तो इस कानून को बाधित/ रोक लगा दिया जायेगा।

एससी/एसटी एक्ट को लेकर हम सभी के मन मे काफी सवाल होंगे कि एससी- एसटी एक्ट क्या है (SC ST Act in Hindi)SC ST Act कब लगता है ? क्या हरिजन एक्ट के अपराध मे जमानत मिल सकती है, और इस कानून के तहत सजा, धारा, झूटी शिकायत, मुवावजा इत्यादि की पूरी जानकारी आज हम आपके साथ साझा करने वाले है।

SC ST एक्ट बनाने का उद्देश्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों की सुरक्षा और संरक्षण को सुनिश्चित करना है साथ ही उनकी सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है ताकि उन्हें वास्तविक रूप से भारतीय समाज में सम्मान और समानता मिल सके। इस अधिनियम के तहत, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को विभिन्न प्रकार की सुरक्षा प्रदान की जाती है। यह कानून उनकी संपत्ति की सुरक्षा, जीवन और संपत्ति की सुरक्षा, शिक्षा और रोजगार के अधिकार, और उनकी सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा के लिए प्रावधान करता है।

HIGHLIGHTS

भारत का संविधान प्रत्येक व्यक्ति को एक समान जीने का अधिकार देता है लेकिन आजादी के बाद भारत देश मे अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति समुदायों के सदस्यों के खिलाफ भेदभाव और अत्याचार को रोकने के लिये संसद व्दारा SC/ST Act कानून बनाया गया, अब प्रश्न यह है कि क्या इसका दुरूपयोग हो रहा है या नही, तो हां इस कानून का अधिकांशतः दुरूपयोग किया जा रहा है और कोई न कोई सही व्यक्ति भी इस कानून का शिकार हो रहा है, हांलाकि अब सरकार व्दारा कुछ शक्तियां जरूर बरती जा रही है, लेकिन कॉफी तेजी से इसका दुरूपयोग भी हो रहा है।

SC/ST Act मामलों मे अगर कोई शिकायतकर्ता नीची जाति या हरिजन है, तो वह सबसे पहले हरिजन एक्ट ही लगाया जा रहा है, चाहे मामला कोई और ही क्यो न हो, सबसे पहले वह इसी कानून का सहारा ले रहा है, क्योकि वह जानता है, कि यह कानून हमारे लिये ज्यादा फायदेमंद रहेगा। इसके अलावा उसे यह भी मालूम है, कि इस कानून के तहत सरकार हमे मुआवजा भी देगी। इसलिये भी इस कानून दरूपयोग काफी तेजी से हो रहा है।

आज हम इस पोस्ट के माध्यम से जानेंगे कि What is the SC/ST Act? एससी/एसटी एक्ट क्या है? यह कानून किन-किन मामलो मे लागू होता है और मुआवजा कैसे और कब, तक कितना मिलता है? क्या इस कानूून के तहत हुये अपराध मे जमानत मिल सकती है या नही, और इस कानून के तहत क्या सजा का प्रावधान है, इन सभी अहम बिन्दुओ पर आज हम चर्चा करने वाले है।

एससी/एसटी कानून (SC/ST Act) हिन्दी मे

SC/ST Act सामाजिक एवंम् आर्थिक रूप से अनुसूचित जाति एवंम् अनूसूचित जनजाति पर हो रहे अत्याचार/प्रताड़ना को रोकने के फलस्वरूप इस कानून को संसद ने वर्ष 1989 में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 पारित किया। इसके बाद राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर किये जाने पर 30 जनवरी 1990 को यह कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू कर दिया गया है।

इस कानून को लाने का मुख्य उद्देश्य सिर्फ इतना सा है कि जो कोई (दूसरे वर्ग का व्यक्ति) किसी अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियो को उनकी जाति वर्ग के आधार पर अपमानित या प्रताड़ित करता है, तो वह इस कानून के तहत दण्डित किया जायेगा, साथ ही कोई भी (दूसरे जाति का व्यक्ति) किसी को जानबूझकर उसकी जाति के आधार पर भेद-भाव या उसके अधिकारो का हनन करता है, तो उसके विरूद्ध इस कानून के तहत कठोर कार्यवाही की जायेगी।

संक्षिप्त नाम, कुल कितने अध्याये और कितनी धाराये है?

एससी/एसटी एक्ट (SC ST Atrocities act) को हिन्दी मे [अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) कानून] कहा जाता है और अंग्रेजी मे [Scheduled Caste and Scheduled Tribe (Prevention of Atrocities) Act] कहा जाता है। इस कानून के अन्तर्गत कुल 5 अध्याय एवंम् 23 धाराये है।

एससी/एसटी कानून (SC/ST Act) कब लागू होता है

SC/ST Act मुख्यताः उन मामलो मे लागू होता है, जहां कोई (दूसरे वर्ग/जाति का व्यक्ति) किसी हरिजन व्यक्ति को इसलिये प्रताड़ित/ अपमानित करता है कि वह अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का है, तो तब यह कानून उनकी रक्षा करता है। जिसका उद्धेश्य कि जाति के अधार पर किसी व्यक्ति के साथ भेद-भांव या प्रताडित करने वाले व्यक्ति को सजा एवंम् जुर्माने का प्रावधान है।

SC/ST Act जम्मू कश्मीर को छोड़कर सम्पूर्ण भारत पर लागू होता है, जो कोई व्यक्ति इस कानून के तहत किसी अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियो को उनकी जाति वर्ग के आधार पर अपमानित या प्रताड़ित करता है, तो वह व्यक्ति कठोर दण्ड का भागीदार होता है।

इसके अलावा इस कानून मे जमानत भी इतनी आसानी से नही मिलती है, यह कानून संज्ञेय और गैर-जमानतीय अपराध की श्रेणी मे आता है, लेकिन अब कुछ शर्तो को जोड़ दिया गया है, जिसके आधार पर किसी मासूम, जो इस कानून के तहत फसांया गया है परेशान न किया जाये, जैसा कि एफआईआर दर्ज होते ही गिरफ्तारी मे रोक, बेल मिलने मे असानी, उच्च स्तरीय जांच इत्यादि जैसी शर्तो को जोड़ा गया है।

एससी/एसटी कानून के तहत हरिजन के अधिकारों का हनन

  • अध्ययन, अध्यापन व आम विकास के अवसरों से वंचित।
  • धार्मिक ग्रंथों अध्ययन, वाचन और श्रवण पर निषेध।
  • पूजा पाठ और मंदिर में प्रवेश करने पर निषेध। 
  • रथ व घोड़े की सवारी पर मनाही।
  • सार्वजनिक घाटों, तालाबों और कुओं से पानी लेने पर प्रतिबंध।
  • सार्वजनिक धर्मशालाओं, भोजनालयों आदि में प्रवेश पर प्रतिबंध।
  • सम्पत्ति रखने के अधिकार से वंचित।
  • राजनैतिक शासन सम्बंधी अधिकारों पर प्रतिबंध।
  • अस्त्र-शस्त्र धारण करने और युद्ध कला सीखने पर प्रतिबंध।

जो कोई दूसरे वर्ग का नागरिक किसी अनुसूचित जाति या अनूसूचित जनजाति के वर्ग के लोगो को उनके अधिकारों से वंचित करता है या प्रताड़ित करता है, तो वह एससी/एसटी कानून के तहत दण्डनीय होगा।

एससी/एसटी कानून पर सुप्रीम कोर्ट का मत

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) कानून बहुत लचीला है, जिसके चलते हर कोई इस हरिजन कानून का सहारा लेकर किसी भी दूसरे वर्ग/जाति के व्यक्ति पर प्रताड़ना का आरोप आसानी से लगा देता है, और प्रतिवादी को इस कानून के तहत काफी मुश्किलो का सामना करना पड़ जाता है और तो और अधिकांशतः वादी इस कानून का सहारा मुआवजा/सहायता लेने के उद्देश्य से किसी दूसरे वर्ग के व्यक्ति पर आरोप लगा देता है। जिसको देखते हुये सुप्रीम कोर्ट ऑफ इण्डिया व्दारा कुछ सख्ती एवंम् दिशा-निर्देश दिये गये है, जिसके चलते ऐसे झूठे मामलो मे जांच सही ढंग से की जा सके।

सुप्रीम कोर्ट ऑफ इण्डिया का मत-

“सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में एससी/एसटी एक्ट के दुरुपयोग पर चिंता जताई थी और इसके तहत मामलों में तुरंत गिरफ़्तारी की जगह शुरुआती जांच की बात कही थी। जस्टिस एके गोयल और यूयू ललित की बेंच ने कहा था कि सात दिनों के भीतर शुरुआती जांच ज़रूर पूरी हो जानी चाहिए।“
सर्वोच्च न्यायालय का पूर्ववर्ती निर्णय
सर्वोच्च न्यायालय ने 20 मार्च 2018 को सुभाष काशीनाथ बनाम महाराष्ट्र राज्य के वाद में निर्णय देते हुए यह प्रावधान किया कि–
“एससी/एसटी कानून के मामलों की जाँच कम से कम डिप्टी एसपी रैंक के अधिकारी द्वारा की जाएगी। पहले यह कार्य इंस्पेक्टर रैंक का अधिकारी करता था। यदि किसी आम आदमी पर एससी-एसटी कानून के अंतर्गत केस दर्ज होता है, तो उसकी भी गिरफ्तारी तुरंत नहीं होगी बल्कि इसके लिये जिले के SP या SSP से अनुमति लेनी होगी।
किसी व्यक्ति पर केस दर्ज होने के बाद उसे अग्रिम जमानत भी दी जा सकती है।
अग्रिम जमानत देने या न देने का अधिकार दंडाधिकारी के पास होगा। अभी तक अग्रिम जमानत नहीं मिलती थी तथा जमानत भी उच्च न्यायालय द्वारा दी जाती थी।
किसी भी सरकारी कर्मचारी/अधिकारी पर केस दर्ज होने पर उसकी गिरफ्तारी तुरंत नहीं होगी, बल्कि उस सरकारी अधिकारी के विभाग से गिरफ्तारी के लिये अनुमति लेनी होगी।

एससी/एसटी एक्ट के तहत अपराध की श्रेणी

SC/ST Act के अन्तर्गत किये गये सभी अपराध गभ्भीर अपराध की श्रेणी मे आते है, इसलिये इस कानून को संज्ञेय अपराध की श्रेणी मे रखा गया है अब बात कर लेते है जमानत की तो ऐसे मामलो मे पहले इतनी असानी से जमानत नही मिल पाती थी।

लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलो को जल्द ही संज्ञान मे लेने के पश्चात् इस कानून को थोड़ा सा बदलाव किया है, क्योकि सुप्रीम कोर्ट को भी यह लगने लगा था कि एससी/एसटी एक्ट अधिकांशतः मामलो मे किसी न किसी को फंसाने के उद्देश्य से लगाया जाता है। इसलिये सुप्रीम कोर्ट व्दारा गाइडलाइन के अनुसार किसी व्यक्ति को शिकायत दर्ज होने तुरन्त पश्चात् गिरफ्तार नही किया जायेगा, मामले की छानबीन करने के पश्चात् ही यदि व्यक्ति दोषी पाया जाता है, तो ही गिरफ्तार किया जायेगा।

एससी/एसटी एक्ट के तहत सजा का प्रावधान

हरिजन एक्ट कानून के तहत जो कोई किसी हरिजन व्यक्ति के अधिकारों का हनन करता है अथवा उसे प्रताड़ित करता है, तो वह कम से कम 6 मास से अधिकत् 7 वर्ष तक के कारावास से दण्ड़ित किया जायेगा।  बलात्कार और हत्या जैसे अधिक गंभीर अपराधों के लिए, सजा में आजीवन कारावास या मृत्युदंड शामिल हो सकता है

एससी/एसटी एक्ट में जमानत कैसे मिलेगी?

भारत में, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत जमानत, इतनी आसानी से नही मिल पाती थी , लेकिन हाइकोर्ट के कई निर्णयों के पश्चात् दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के प्रावधानों के अनुसार अगर आरोपी व्यक्ति निम्न शर्तो को पूरा करता है, तो जमानत असानी से मिल सकती है।

SC/ST Act

SC/ST Act मे जमानत पाने के लिये न्यायालय को यह सुनिश्चित कराना होगा कि आरोपी जमानत के हकदार क्यो है जैसे- आरोपी वास्तव मे बेकसूर है, आरोपी व्यक्ति व्दारा न तो उसे डराया है और उसके साथ कोई गलत बर्ताव किया गया है, केवल उसे फंसाने के उद्देश्य यह आरोप लगाया गया है। न्यायालय जमानत अर्जी पर दोनों पक्षो द्वारा प्रस्तुत सबूतों और तर्कों पर विचार करेगी। अगर न्यायालय को यह उचित आधार मिल जाता है कि आरोपी वास्तव मे बेकसूर है, केवल उसे फंसाया गया है, तो न्यायलाय आरोपी को जमानत दे सकती है।

न्यायालय ज़मानत देते समय कुछ शर्तें जरूर लगा सकती है, जैसे कि आरोपी अपना पासपोर्ट सरेंडर कर दे, नियमित पुलिस रिपोर्टिंग प्रस्तुत करे, या गवाहों या पीड़ितों से संपर्क करने से मनाही करे दे। यदि आरोपी व्यक्ति व्दारा सबूतों और तर्कों के आधार न्यायलय को यह सुनिश्चित करा लेता है, और न्यायलय को यह यकीन हो जाता है कि आरोपी वास्तव मे निर्दोष है, तो आरोपी को अंतरिम जमानत या फाइनल जमानत मिल सकती है। यह न्यायालय के विवेक पर निर्भर करता है, कि किन-किन शर्तो का पालन करना जरूरी है। अन्य सभी मामलो मे अलग-अलग भी हो सकते है।

एससी/एसटी एक्ट के तहत सहायता/मुआवजा राशि कितनी है

हरिजन एक्ट मे सबसे बड़ी और सबसे हानिकारक यह सहायता/मुआवजा राशि है, क्योकि अधिकांशतः मामलो मे मुआवजा लेने के लिये ही फसांया जाता है, मुआवजा लेकर अधिकांशतः समझौता कर लेते है।इसलिये इस कानून का दुरूपयोग भी बहुत तेजी से हो है। इस कानून के तहत अनुसूचित जाति एवंम् अनुसूचित जनजाति को आर्थिक मदद् प्रथम चरण मे ही प्रावधान है, यदि किसी हरिजन वर्ग के व्यक्ति को परेशान अथवा जाति के आधार पर नीचा दिखाया गया है, तो एफआईआर दर्ज होने के पश्चात् ही आर्थिक सहायता पहुचांने का प्रावधान है और यह अपराध सिद्ध होने की स्थिति में उत्पीडित व्यक्ति को रू. 40000/- से रू. 500000/- तक आर्थिक सहायता दिये जाने का प्राविधान है।

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण ) अधिनियम| SC/ST Act 1989 Section List

1-संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ

2-परिभाषाएं

3-अत्याचार के अपराधों के लिए दंड

4-कर्तव्यों की उपेक्षा के लिए दंड

5-पश्चातवर्ती दोषसिद्धि के लिए वर्धित दंड

6-भारतीय दंड संहिता के कतिपय उपबंधों का लागू होना

7-कतिपय व्यक्तियों की संपत्ति का समपहरण

8-अपराधों के बारे में उपधारणा

9-शक्तियों का प्रदान किया जाना

10-ऐसे व्यक्ति का हटाया जाना जिसके द्वारा अपराध किए जाने की संभावना है

11-किसी व्यक्ति द्वारा संबंधित क्षेत्र से हटने में असफल रहने और वहां से हटने के पश्चात् उसमें प्रवेश करने की दशा में प्रक्रिया

12-ऐसे व्यक्तियों के, जिनके विरुद्ध धारा 10 के अधीन भावेश किया गया है, माप गौर फोटो आदि लेना

13-धारा 10 के अधीन आदेश के अनुपालन के लिए शास्ति

14-विशेष न्यायालय

15-विशेष लोक अभियोजक

16-राज्य सरकार की सामूहिक जुर्माना अधिरोपित करने की शक्ति

17-विधि और व्यवस्था तंत्र द्वारा निवारक कार्यवाही 

18-अधिनियम के अधीन अपराध करने वाले व्यक्तियों को संहित की धारा 438 का लागू न होना

19-इस अधिनियम के अधीन अपराध के लिए वेषी व्यक्तियों को संहिता की धारा 360 या अपराधी परिवीक्षा अधिनियम के उपबंध का लागू न होना

20-अधिनियम का अन्य विधियों पर अध्यारोही होना

21-अधिनियम का प्रभावी क्रियान्च्यन सुनिश्चित करने का सरकार का कर्तव्य

22-सद्भावपूर्वक की गई कार्रवाई के लिए संरक्षण

23-नियम बनाने की शक्ति

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न-

SC ST एक्ट में जमानत कैसे होती है?

एससी-एसटी एक्ट के प्रावधानों के तहत सिर्फ स्पेशल कोर्ट (SC/ST Court) को ही जमानत पर विचार करने का अधिकार है। एक्ट की धारा 14 के तहत सिर्फ स्पेशल कोर्ट ही एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामले पर विचार करने के उपरांत ही निर्णय लेती है, कि जमानत देनी है या नही अथवा अंतरिम जमानत या फाइनल जमानत देनी है यह न्यायालय के विवेक पर ही निर्भर करता है।

एससी एसटी एक्ट में गिरफ्तारी कब होती है?

पहले की बात करे तो एससी एसटी मामला दर्ज होते ही, गिरफ्तारी कर ली जाती थी, लेकिन नई गाइडलाइन के अनुसार अब पहले जांच होगी, उसके पश्चात् ही ज्ञात किया जायेगा कि गिरफ्तारी की जाये या न अथवा जमानत पर छोड़ दिया जाये। वैसे अब जमानत मिल जायेगी, अगर प्रतिवादी बेकसूर है।

एससी एसटी एक्ट की धारा 3 क्या है?

यदि कोई व्यक्ति अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के किसी भी व्यक्ति के साथ जाति-सूचक अभद्रता ऐसे स्थान पर करता है, जो कि एक सार्वजनिक स्थान है, तो उसे एक दंडनीय अपराध माना जाएगा।

क्या हम एससी एसटी संपत्ति खरीद सकते हैं?

बिना स्वीकृति के एससी एसटी भूमि की बिक्री पर रोक लगाती है, अर्थात् एससी एसटी अगर कोई भूमि बेंच रहा है, तो डीएम या कलेक्टर से प्राधिकरण प्राप्त करके अनुसूचित जाति की भूमि का अधिग्रहण कर सकते हैं। दाखिल-खारिज मे आपका नाम नही दर्ज कराया जा सकता है।

एससी एसटी कानून मे कुल कितनी धारायें होती है?

इस कानून के अन्तर्गत कुल 5 अध्याय एवंम् 23 धाराये है।

एससी एसटी एक्ट में कितने दिन की सजा है?

हरिजन एक्ट कानून के तहत जो कोई किसी हरिजन व्यक्ति के अधिकारों का हनन करता है अथवा उसे प्रताड़ित करता है, तो वह कम से कम 6 मास से अधिकत् 7 वर्ष तक के कारावास से दण्ड़ित किया जायेगा। गम्भीर अपराध जैसी स्थिति मे आजीवन से लेकर मृत्युदंड तक भी हो सकता है।

जाति सूचक गाली देने पर कौन सी धारा लगती है?

अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के लोगों को कोई अन्य जाति का व्यक्ति जाति सूचक गाली देता है, तो वह धारा 323 के तहत 6 माह से 1 वर्ष तक कारावास की सजा एवं जुर्माने से भी दंडित किया जा सकता है।

हमारा प्रयास एससी/एसटी अधिनियम (SC/ST Act) की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।

61 thoughts on “एससी/एसटी एक्ट क्या है?|SC/ST Act in Hindi|जमानत एवंम् सजा का प्रावधान”

  1. Hello sir,
    Mae ek anusuchit jati se hu mere bagal me verma jati ka vyakti hai.
    Jo kayi bar chamariya kah kar jhagada kiya hai,
    Kya usapar sc st act lagu hoga

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      • hello sir mai sc cast se related hu mai chhattisgarh se aur mai ek govt employ hu sir aaj bhi hamre office me adhyksh mahodya jo ki agrwal samaj ke hai wo mujhe ek chamar jati ka adhikari aa gaya hai bolke bolta hai aur gali agloch krta hai…. cuki mere sabhi adhikari usse darte hai to koi kuch nahi bolta aur chhote employe kam se nikalne denge bolke kuch nahi krta …..chuwa chut abhi bhi dekhne ko milta hai…kya ye hamre samaj ko pratdit nahi krta …..kya kiya jaye aaj to gali galoch karte huye sale chamar engineer mera kya kr lega bolke sabhi logo ki upstithi me gali galoch mar pit kiya gaya mai kya kru.. please guide me ….

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    • Proof kk e liye ek video recording kar ke rakhen, aur apko gali gloch jati suchak sabd agar kahta hai to .. sc ct ka act laga ke FIR kijiye uske name se sabut ke sath

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      • Sir SC at ek Ka ab log fayda utha rahe or general balo ko dhamka rahe isse Kisi ki family pe kya best ti Hogi he Kisi ne Nahi socha meri family par bevajah harijan act lagaya Ka Raha ye Kaha Ka nyay hai sir mere papa ki halat serious hai ager unhe kuchh hua to me ki court me jau general balo ke liye koi kanoon Nahi kya ye Kaha Ka insaf hai sir

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          • अगर सत्य मे कोई किसी एससी/एसटी को उसके एससी/एसटी होने पर परेशान करता है, तो उसे सजा मिलनी आवश्यक है, लेकिन मै देख रहा हूं अधिकांशतः दुरूपयोग भी काफी अधिक हो रहा है।

  2. क्या पुलिस कर्मचारी द्वारा सरेआम मारपीट करने पर जिसकी विडियो भी हो उस पुलिस वाले पर एससी एसटी एक्ट लग सकता है ??

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      • अगर नाबालिग पर हरिजन act लगाया था बाद में बालिग़ होने पर सजा दी जा सकती हैं कॉल कर ले आप

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        • एफ आई आर में मेरे पिता का नाम किशन मुरारी पंडित पुलिस की चार्ज शीट में कृष्णा बिहारी लिखा और जब पिता ने हाई कोर्ट से इस्टे ऑर्डर कराया तो उसमे कॄष्ण बिहारी पांडे के नाम से स्टे कर दिया दस साल बाद खारिज कर दिया मेरे पिता का नाम कृष्ण मुरारी है और तब मेरी उम्र लगभग 15 वर्स की थी अगर कोई खारिज का कोइ आदेश हो तो भेज दे

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    • केस जल्द ही समाप्त करना है, तो बाहर से कुछ ले दे के फाइनल करा लो, नही तो कानून के तहत लडों, अगर गलत नही हो तो जीत तुम्हारी ही होगी और वकील से बोलो कि वादी ने केस को पैसे के लिये लगाया है।

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  3. .अगर कोई एससी एसटी का व्यक्ति सामान्य व्यक्ति के परिसर मे चोरी करने गया और सामान्य व्यक्ति उसे पहचाना कर कह रहा है कि क्या है,12 बजे रात के क्या लेने आये हो इतना कहने पर एससी एसटी व्यक्ति सामान्य व्यक्ति को मारने लगे तब उसके साथ सामान्य व्यक्ति को क्या विरोध करना चाहिए या हाथ जोडकर कर कहना चाहिए कि और मार मै कुछ नहीं करूगा नही सरकारी कानून मुझे एससी एसटी एक्ट में फसा देगी|क्योंकि कोई सामान्य व्यक्ति अधिकारी भी उसके विरूद्ध मुकदमा दर्ज करने की हिम्मत नहीं कर रहा हैं| ऐसे परिस्थिति में हमे क्या करना चाहिए|

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    • साक्ष्य महत्वपूर्ण होने आवश्यक है, जैसे वीडियों रिकार्डिंग, गवाह हो फिर शिकायत दर्ज करो। जितना साक्ष्य मजबूत होंगे। उतनी आसानी होगी।

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  4. मेरे को एक आदमी जमीन विवाद को लेकर st sc act के तहत अजाक थाना में मामला दर्ज कराया है जबकि मै कोई भी बात नहीं किया हूं

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    • देखो क्या एफआईआर मे लिखाया गया है, पुलिस अधिकारी से मिल लो, अभी बात बन जायेगी।

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  5. मुकदमे के बाद दोनों पार्टी सुलह करती है तो सरकार से मिली हुई राशि वापस सरकार को करनी पड़ेगी

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  6. में अपने क्षेत्र का चर्चित आदमी हु जो अपने मेहनत से मैने फोर व्हीलर लिया हु तो एक दिन उसी रोड जिस रोड से में गुजरता था उसी रोड में एक दिन मोटरसाइकल और फोरव्हीलर में टक्कर हो जाती है जिसमे फोरव्हीलर का रंग काला होता है और मेरा भी गाड़ी काला हे तो सक काला होने से मेरे ऊपर दबाब बना रहा है में sc हु और दबाब बनाने वाला लोग obc जेनेरल हे और घटना होने में करीब 8दिन बीत जाने के बाद यह समस्या हो रहा है
    और मुझे बार बार फोन के माध्यम से धमकी दिया जा रहा है और डिप्रेशन में डालने की कोसिस किया जा रहा है अब बताओ में क्या करूँ दूसरा पॉइंट यह भी कहा जाता है कि थाने से मार पड़ेगा तब समझ में आयेगा साले चामर

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    • bhai sc log ko sabhi doosri jatiya presan karti hai aur kes karne par kahte ki hame fasa raha hai.abhi mere yaha ek obc pradhan hamari pore gav ko jati soochak galiya de raha tha aur kah raha tha chahe jaha jakar kes karlo kyiki uski rajneet me pakarh hai.

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      • ऐसा सत्य है अधिकांशतः गावों मे कही-कही SC/ST को लेकर र्दुरव्यवहार भी बहुत किया जाता है, लेकिन कही कही मिसयूज भी बहुत होता।

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  7. यदि sc वर्ग के व्यक्तियों द्वारा सामान्य का सिर फोड़ दिया जाये, पैर में फ्रैक्चर हो लेकिन उसने भी गलत fir कराया हो तो क्या इस दशा में भी सामान्य व्यक्ति पर sc st एक्ट लग सकता है।

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    • लगाने को तो क्या से क्या आरोप लगा देते, लेकिन अपनी बात थाने मे अपनी बात कहो, शायद अधिकारी मान जाये, तो बात बन सकती है और क्राश FIR कराओ कि मारा-पीटा मेडिकल कराकर ढंग से FIR कराओ।

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  8. सर मैने एक अनुसूचित जाति के व्यक्ति को फोन से गाली गलौज ब जाति सूचक शब्द बोल दिया है गुस्से में ।। क्या sc/st ke दायरे में आयेगा

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  9. Sar Maine ek aadami per case lagaya hua hai vah mujhe बार-बार mujhe aur mere rishtedaron ko dhamki de raha hai maine koi jhutha case nahin lagaya use per mere pass proof hai aise mein kya karna chahie abhi court mein case chal raha hai uske bavji ko mujhe dhamki yahan de raha hai samjhote ke liye kya karna chahie samjhauta karne ke liye mujhe aur mere Parivar ko बार-बार torcher kar raha hai kya karna chahie uska

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  10. 1. क्या नो कास्ट नो रिलीजन पर भी St SC मामले दर्ज किए जा सकते है ?
    2. St SC मामले किस किस पर नही लगते ?
    3. अगर आप दोषरहित सिद्ध हो जाते है तो आगे आप उसके खिलाफ कौन कौन से कदम उठाया जा सकता है ?

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    • वैसे SC/ST को छोडकर सब पर लगाया जा सकता है। यदि आप सिद्ध कर देते है कि बेगुनाह थे, तो आप मानहानि का दावा और डराने धमकाने जैसा मामला ही दर्ज करा सकते है।

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  11. मै रामा राम मेगवाल मेरेको एक मुसलमान(तेली) मेरेको ढेढ मोलरहा है मुझे फोनकरके गाली गलोस कर जानसे मारने की धमकी देरहा जिसका सबुत फोन रिकोडिगहै मुकदमा धोरीमना थाने मे दर्जहै जिसका FIR नम्बर 0399/2022 है

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    • रिकार्डिंग रखो, थाने मे दो एक एफआईआर या एनसीआर दर्ज करा दो, धमकी देने और गाली गलौज करने की।

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  12. Sir maine sc st act ke tahat fir karaya tha fir samjhauta bhi lagaya tha 25000 ki anudan rashi mili ab Kotwali se fone aya ki charge seet court jayegi fir paise milenge kya aisa hi Paisa milega kitna

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  13. Sir mai jaha kam karte te vo payment nhi de rahe hai. Roj guma rahe hai. Payment dene ke mud mai nhi hai. Bolte hai jao case karo. Mai Sc cast ki hu kya karu .

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    • आपके शहर मे लेबर ऑफिस होगा, वहां लेबर कमिशनर को इसकी शिकायत कर सकते हैं। अगर फिर भी बात नही बनती है तो आप कोर्ट जा सकती हैं। कोर्ट में आप इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट, 1947 के सेक्शन 33 (C) के तहत वाद दाखिल कर सकती है।

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    • मामले की गम्भीरता के आधार पर ही 40000 हजार से 500000 तक वह भी जज के न्यायविवेक पर निर्भर करता है।

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    • जानकारी चाहिये तो पूरा मामला ठीक से बताना होगा अथवा एफआईआर की कॉपी [email protected] पर भेज सकते है। रिप्लाई भी उसी पर दे दिया जायेगा।

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