नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 212 के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 212? साथ ही हम आपको IPC की धारा 212 के अंतर्गत कैसे क्या सजा मिलती है और जमानत कैसे मिलती है, और यह अपराध किस श्रेणी में आता है, इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 212 का विवरण
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में आज हम आपको महत्वपूर्ण धारा के विषय में पूर्ण जानकारी आपको देंगे। हम में बहुत से लोगो को नहीं पता होता हैं कि यदि कोई व्यक्ति किसी अपराधी को संश्रय (आश्रय देना या छिपाना) देता है, तो भी हम एक तरह से अपराध ही करते है । जो भारतीय दण्ड संहिता की धारा 212 के अंतर्गत दंडनीय है। इस धारा में हम आपको पूर्ण जानकारी देंगे कि कैसे ऐसे अपराध के लिए खुद को सुरक्षित किया जाए एवम् जुर्माना व अपराध किस तरह का है पूर्ण जानकारी देंगे।
आईपीसी की धारा 212 के अनुसार-
अपराधी को संश्रय देना-
जबकि कोई अपराध किया जा चुका हो, तब जो कोई किसी ऐसे व्यक्ति को, जिसके बारे में वह जानता हो या विश्वास करने का कारण रखता हो कि वह अपराधी है, वैध दंड से प्रतिच्छादित करने के आशय से संश्रय देगा या छिपायेगा ।
Harbouring offender-
Whenever an offence has been committed, whoever harbours or conceals a person whom he knows or has reason to believe to be the offender, with the intention of screening him from legal punishment.
यदि अपराध मृत्यु से दंडनीय हो- यदि का अपराध मध्य से डंडे नहीं हो तो वह दोनों में से किसी बात के कारावास से जिसकी अवधि 5 वर्ष तक की हो सकेगी दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
यदि अपराध आजीवन कारावास से या कारावास से दंडनीय हो – और यदि वह अपराध आजीवन कारावास से, या 10 वर्ष तक के कारावास से दंडनीय हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि 3 वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
यदि अपराध 1 वर्ष तक न कि 10 वर्ष के कारावास से दंडनीय हो, अपराध के लिए जिसकी अवधि उपबंधित कारावास की दीर्घतम् अवधि की एक चौथाई तक की हो सकेगी जिसे जुर्माने से या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
इस धारा में अपराध के अंतर्गत भारत से बाहर किसी स्थान पर किया गया ऐसा कार्य आता है, जो यदि भारत में किया जाता है, तो निम्नलिखित धारा 302, 304, 382, 392, 393, 394, 395, 396, 397, 398, 399, 402, 435, 436, 449, 450, 457, 458, 459 और 460 में से किसी धारा के अधीन दंडनीय होता और हर ऐसा कार्य इस तरह का प्रयोजन के लिए जैसे दंडनीय समझा जाएगा मानो अभियुक्त उसे भारत में करने का दोषी था।
नोट- इस धारा में ऐसे मामले नहीं शामिल होते हैं जिसमें अपराधी का संश्रय देना या छिपाना उसके पति या पत्नी द्वारा हो।
लागू अपराध
1.अपराधी का संश्रय देना या छिपाना, यदि अपराध मृत्यु से दंडनीय है ।
सजा – 5 वर्ष का कारावास और जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं ।
2. यदि आजीवन कारावास या दस वर्ष के लिए कारावास से दंडनीय है।
सजा – 3 वर्ष का कारावास और जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं ।
3. यदि एक वर्ष के लिए न कि दस वर्ष के लिए कारावास से दंडनीय है।
सजा – दीर्घतम् अवधि की एक चौथाई के लिए कारावास और जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं ।
यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम वर्ग के न्यायाधीश द्वारा विचारणीय है।
जुर्माना/सजा (Fine/Punishment) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 212 के अंतर्गत जो कोई किसी व्यक्ति को किसी अपराध से बचाने के लिए संश्रय (छिपाने) का प्रयास करता है, जबकि वह वास्तव में अपराधी होता है तो संश्रय (छिपाना) देने वाला व्यक्ति भी आईपीसी धारा 212 के अंतर्गत अपराधी होगा, जिसे उपरोक्त दंडानुसार उसके अपराध के दण्ड अनुसार कारावास और जुर्माना या फिर दोनों भी हो सकते हैं ।
जमानत (Bail) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 212 अंतर्गत जो अपराध कारित किए जाते है वह अपराध दंड प्रक्रिया संहिता में जमानतीय (Baileble) अपराध की श्रेणी में आते है, इसलिए इस धारा के अंतर्गत किए गए अपराध में जमानत मिल सकेगी।
अपराध | सजा | अपराध श्रेणी | जमानत | विचारणीय |
अपराधी का संश्रय देना या छिपाना, यदि अपराध मृत्यु से दंडनीय है | 5 वर्ष का कारावास और जुर्माना या दोनों | संज्ञेय | जमानतीय | प्रथम वर्ग के न्यायाधीश |
यदि आजीवन कारावास या दस वर्ष के लिए कारावास से दंडनीय है | 3 वर्ष का कारावास और जुर्माना या दोनों | संज्ञेय | जमानतीय | प्रथम वर्ग के न्यायाधीश |
यदि एक वर्ष के लिए न कि दस वर्ष के लिए कारावास से दंडनीय है | दीर्घतम् अवधि की एक चौथाई के लिए कारावास और जुर्माना या दोनों | संज्ञेय | जमानतीय | प्रथम वर्ग के न्यायाधीश |
हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 212 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।