नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 196 के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 196? साथ ही हम आपको IPC की धारा 196 के अंतर्गत कैसे क्या सजा मिलती है और जमानत कैसे मिलती है, और यह अपराध किस श्रेणी में आता है, इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
IPC की धारा 196 का विवरण
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 196 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। जो कोई व्यक्ति किसी साक्ष्य को, जिसका मिथ्या होना या गढ़ा होना वह जानता है, सच्चे या असली साक्ष्य के रूप में भ्रष्टतापूर्वक उपयोग में लाएगा, या उपयोग में लाने का प्रयत्न करेगा, तो वह व्यक्ति धारा 196 के अंतर्गत दंड एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।
आईपीसी की धारा 196 के अनुसार-
उस साक्ष्य को काम में लाना जिसका मिथ्या होना ज्ञात है-
जो कोई किसी साक्ष्य को, जिसका मिथ्या होना या गढ़ा होना वह जानता है, सच्चे या असली साक्ष्य के रूप में भ्रष्टतापूर्वक उपयोग में लाएगा, या उपयोग में लाने का प्रयत्न करेगा, वह ऐसे दण्डित किया जाएगा मानो उसने मिथ्या साक्ष्य दिया हो या गढ़ा हो।
Using evidence known to be false—
Whoever corruptly uses or attempts o use as true or genuine evidence any evidence which he knows to be false fabricated, shall be punished in the same manner as if he gave or fabricated false evidence.
लागू अपराध
उस साक्ष्य की न्यायिक कार्यवाही में काम में लाना, जिसका मिथ्या होना या गढ़ा होना ज्ञात है।
सजा- वही जो मिथ्या साक्ष्य देने या गढ़ने के लिए हैं।
यह अपराध मिथ्या साक्ष्य देने के अनुसार अपराध जमानतीय या गैर-जमानतीय है, साथ ही यह गैर-संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है और उसी न्यायालय द्वारा विचारणीय है जहां मिथ्या साक्ष्य प्रस्तुत किया गया है।
यह अपराध समझौते योग्य नहीं है।
जुर्माना/सजा (Fine/Punishment) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 196 के अंतर्गत जो कोई किसी साक्ष्य को, जिसका मिथ्या होना या गढ़ा होना वह जानता है, सच्चे या असली साक्ष्य के रूप में भ्रष्टतापूर्वक उपयोग में लाएगा, या उपयोग में लाने का प्रयत्न करेगा, तो मिथ्या साक्ष्य प्रस्तुत करने वाले व्यक्ति वही जो उस अपराध के लिए हैं। (अपराधनुसार) दंड या जुर्माने का भागीदार होगा।
जमानत (Bail) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 196 अंतर्गत जो अपराध कारित किए जाते है वह अपराध दंड प्रक्रिया संहिता में अपराधनुसार जमानतीय/ गैर-जमानतीय (Baileble/Non-Baileble) अपराध की श्रेणी में आते है, इसलिए इस धारा के अंतर्गत किए गए अपराध के अनुसार ही जमानत मिलेगी या नहीं मिलेगी।
अपराध | सजा | अपराध श्रेणी | जमानत | विचारणीय |
उस साक्ष्य की न्यायिक कार्यवाही में काम में लाना, जिसका मिथ्या होना या गढ़ा होना ज्ञात है। | वही जो मिथ्या साक्ष्य देने या गढ़ने के लिए हैं। | गैर-संज्ञेय | अपराधनुसार | उसी न्यायालय द्वारा विचारणीय है जहां मिथ्या साक्ष्य प्रस्तुत किया गया है। |
हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 196 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आप के पास कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।