नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 70 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 70 साथ ही हम आपको IPC की धारा 70 सम्पूर्ण जानकारी एवम् परिभाषा इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 70 का विवरण
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 70 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। यह धारा उन मामलो को परिभाषित करती है, जिन मामलो में जुर्माना किसी व्यक्ति द्वारा पूरा नही भरा गया है, जबकि व्यक्ति उस अपराध के कारावास में है, अथवा अपराधी की मृत्यु के पश्चात् उसके ऋणों के लिए वैध रूप से दायी हो, उस दायित्व से उन्मुक्त नही करती। यह धारा ऐसे मामलो को परिभाषित करती है। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 70 इसी विषय के बारे में बतलाती है।
आईपीसी की धारा 70 के अनुसार-
जुर्माने का छह वर्ष के भीतर या कारावास के दौरान में उद्ग्रहणीय होना– सम्पत्ति को दायित्व से मृत्यु उन्मुक्त नहीं करती-
जुर्माना या उसका कोई भाग, जो चुकाया न गया हो, दण्डादेश दिए जाने के पश्चात् छह वर्ष के भीतर किसी भी समय, और यदि अपराधी दण्डादेश के अधीन छह वर्ष से अधिक के कारावास से दण्डनीय हो तो उस कालावधि के अवसान से पूर्व किसी समय, उद्गृहीत किया जा सकेगा, और अपराधी की मृत्यु किसी भी सम्पत्ति को, जो उसकी मृत्यु के पश्चात् उसके ऋणों के लिये वैध रूप से दायी हो, इस दायित्व से उन्मुक्त नहीं करती।
Fine leviable within six years, or during imprisonment. Death not to discharge property from liability-
The fine, or any part thereof which remains unpaid, may be levied at any time within six years after the passing of the sentence, and if. under the sentence, the offender be liable to imprisonment for a longer period than six years, then at any time previous to the expiration of that period; and the death of the offender does not discharge from the liability any property which would after his death, be legally liable for his debts.
हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 70 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके पास कोई सवाल हो,तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।