नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 129 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 129? साथ ही हम आपको IPC की धारा 129 सम्पूर्ण जानकारी एवम् क्या सजा मिलेगी और कैसे क्या जमानत मिलेगी। इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 129 का विवरण
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 129 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। जो कोई लोक सेवक होते हुए, किसी राजकैदी या युद्ध कैदी की अभिरक्षा में रखते हुए, लापरवाही (Negligently) से निकल भागता है तो भारतीय दंड संहिता की धारा 129 अप्लाई होगी। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 129 इसी विषय के बारे में बतलाती है।
आईपीसी की धारा 129 के अनुसार-
उपेक्षा से लोक सेवक का ऐसे कैदी का निकल भागना सहन करना-
जो कोई लोक सेवक हुए और किसी राजकैदी या युद्धकैदी को अभिरक्षा में रखते हुए उपेक्षा में ऐसे कैदी का किसी ऐसे होते परिरोध स्थान से, जिसमें ऐसा कैदी परिरुद्ध है, निकल भागना सहन करेगा, वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा, और जुर्माने से भी, दण्डनीय होगा।
Public servant negligently suffering such prisoner to escape-
Whoever, being a public servant and having the custody of any State prisoner or prisoner of war, negligently suffers such prisoner to escape from any place of confinement in which such prisoner is confined, shall be punished with simple imprisonment for a term which may extend to three years, and shall also be liable to fine.
लागू अपराध
उपेक्षा से लोक सेवक का ऐसे कैदी का निकल भागना सहन करना।
सजा- तीन वर्ष के लिए सादा कारावास और जुर्माना।
यह एक जमानतीय, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता योग्य नही है।
सजा (Punishment) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 129 के अंतर्गत जो कोई लोक सेवक होते हुए, स्वेच्छया से राज्यकैदी या युद्ध कैदी को अभिरक्षा से लापरवाही के कारण निकल भागता है। वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा, और जुर्माने से भी, दण्डनीय होगा।
जमानत (Bail) का प्रावधान
जो कोई व्यक्ति लोक सेवक होते हुए भी राज्यकैदी या युद्ध कैदी को अभिरक्षा से लापरवाही के कारण, निकल भागना सहन करता है तो वह व्यक्ति राज्यद्रोह के अपराध का भागीदार होगा। ऐसे अपराध कारित करने वाले व्यक्ति राज्यद्रोह व लोक सेवक से भी निष्कासित कर दिया जाता है साथ ही अपराधी व्यक्ति द्वारा किए गए अपराध के अनुसार ही मामले में पुलिस द्वारा FIR दर्ज करती है यह अपराध जमानतीय होने के कारण जमानत आसानी से मिल सकेगी।
अपराध | सजा | अपराध श्रेणी | जमानत | विचारणीय |
उपेक्षा से लोक सेवक का ऐसे कैदी का निकल भागना सहन करना। | तीन वर्ष के लिए सादा कारावास और जुर्माना। | संज्ञेय | जमानतीय | प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा |
हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 129 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके पास कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।