नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 206 के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 206? साथ ही हम आपको IPC की धारा 206 के अंतर्गत कैसे क्या सजा मिलती है और जमानत कैसे मिलती है, और यह अपराध किस श्रेणी में आता है, इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
IPC की धारा 206 का विवरण
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 206 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। जो कोई किसी सम्पत्ति को समपहरण किये जाने में या निष्पादन में अभिगृहीत किये जाने से निवारित करने के लिये उसे कपटपूर्वक हटाएगा या छिपाएगा, जबकि पूर्व में ही न्यायालय या किसी अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा सुनाया जा चुका है या जिसके बारे में वह जानता है, फिर भी कपटपूर्वक हटाता या छिपाता है, तो वह व्यक्ति धारा 206 के अंतर्गत दंड एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।
आईपीसी की धारा 206 के अनुसार
सम्पत्ति को समपहरण किये जाने में या निष्पादन में अभिगृहीत किये जाने से निवारित करने के लिये उसे कपटपूर्वक हटाना या छिपाना-
जो कोई किसी सम्पत्ति को, या उसमें के किसी हित को, इस आशय से कपटपूर्वक हटायेगा, छिपायेगा या किसी व्यक्ति को अन्तरित या परिदत्त करेगा कि तदद्वारा वह उस सम्पत्ति या उसमें के किसी हित का ऐसे दण्डादेश के अधीन, जो न्यायालय या किसी अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा सुनाया जा चुका है या जिसके बारे में वह जानता है कि न्यायालय या अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा उसका सुनाया जाना सम्भाव्य है, समपहरण के रूप में या जुर्माने के चुकाने के लिये लिया जाना या ऐसी डिक्री या आदेश के निष्पादन में, जो सिविल वाद में न्यायालय द्वारा दिया गया हो या जिसके बारे में वह जानता है कि सिविल वाद में न्यायालय द्वारा उसका सुनाया जाना सम्भाव्य है, लिया जाना निवारित करे, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जायेगा।
Fraudulent removal or concealment of property to prevent its seizure as forfeited or in execution-
Whoever fraudulently removes, conceals, transfers or delivers to any person any property or any interest therein, intending thereby to prevent that property or interest therein from being taken as a forfeiture or in satisfaction of a fine, under a sentence which has been pronounced, or which he knows to be likely to be pronounced, by a Court of Justice or other competent authority, or from being taken in execution of a decree or order which has been made, or which he knows to be likely to be made by a Court of Justice in a civil suit, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to two years, or with fine, or with both.
लागू अपराध
सम्पत्ति को समपहरण किये जाने में या निष्पादन में अभिगृहीत किये जाने से निवारित करने के लिये उसे कपटपूर्वक हटाना या छिपाना।
सजा- दो वर्ष के लिए कारावास या जुर्माना या दोनो।
यह एक जमानतीय, गैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
जुर्माना/सजा (Fine/Punishment) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 206 के अंतर्गत जो कोई किसी सम्पत्ति को समपहरण किये जाने में या निष्पादन में अभिगृहीत किये जाने से निवारित करने के लिये उसे कपटपूर्वक हटाएगा या छिपाएगा, जबकि पूर्व में ही न्यायालय या किसी अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा सुनाया जा चुका है या जिसके बारे में वह जानता है, फिर भी कपटपूर्वक हटाता या छिपाता है, तो वह व्यक्ति दो वर्ष के लिए कारावास या जुर्माने से या दोनो से दंड का भागीदार होगा।
जमानत (Bail) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 206 अंतर्गत जो अपराध कारित किए जाते है वह अपराध दंड प्रक्रिया संहिता में जमानतीय (Baileble) है, इसलिए इस धारा के अंतर्गत किए गए अपराध जमानतीय होने के कारण जमानत आसानी से मिल जाती है।
अपराध | सजा | अपराध श्रेणी | जमानत | विचारणीय |
सम्पत्ति को समपहरण किये जाने में या निष्पादन में अभिगृहीत किये जाने से निवारित करने के लिये उसे कपटपूर्वक हटाना या छिपाना। | दो वर्ष के लिए कारावास या जुर्माना या दोनो। | गैर-संज्ञेय | जमानतीय | किसी भी वर्ग के मजिस्ट्रेट द्वारा |
हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 206 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आप के पास कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।
Dhara 306/201 me aaropi ko bari kar diya gaya he iski apil karna he pidita ko nyay nahi mila he apradhi ki jamanat 3 bar kharij hui thi fir bari keshe huaa
Jankari di jiye sama kam he
केस की सुनवाई हुयी होगी, उसके पश्चात् ही प्रतिवादी के पक्ष मे जजमेन्ट हुआ होगा। फाइल दिखलाओ अपने वकील साहब को क्या मसला है।