नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 376A के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 376A के अंतर्गत कैसे क्या सजा मिलती है और जमानत कैसे मिलती है, और यह अपराध किस श्रेणी में आता है, इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 376A का विवरण
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 376A के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। जो कोई ऐसा अपराध कारित करने के अनुक्रम में ऐसी क्षति कारित करेगा, जिससे स्त्री की मृत्यु कारित हो या स्त्री को लगातार निष्क्रिय स्थिति में बनाये रखे, तो वह धारा 376A के अंतर्गत दंड एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।
आईपीसी की धारा 376A के अनुसार
पीड़िता की मृत्यु कारित करने या लगातार निष्क्रिय स्थिति में बने रहने के लिए परिणाम उत्पन्न करने के लिए दण्ड-
जो कोई धारा 376 की उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन दण्डनीय अपराध कारित करेगा और ऐसा अपराध कारित करने के अनुक्रम में ऐसी क्षति कारित करेगा, जो स्त्री की मृत्यु कारित करे या स्त्री को लगातार निष्क्रिय स्थिति में बनाये रखे, वह कठोर कारावास से, जिसकी अवधि बीस वर्ष से कम नहीं होगी, किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, जिसका तात्पर्य उस व्यक्ति के शेष नैसर्गिक जीवन से होगा या मृत्यु दण्ड से दण्डित किया जायेगा।
Punishment for causing death or resulting in persistent vegetative state of victim-
Whoever, commits an offence punishable under sub-section (1) or sub-section (2) of Section 376 and in the course of such commission inflicts an injury which causes the death of the woman or causes the woman to be in a persistent vegetative state, shall be punished with rigorous imprisonment for a term which shall not be less than twenty years, but which may extend to imprisonment for life, which shall mean imprisonment for the remainder of that person’s natural life, or with death.
लागू अपराध
व्यक्ति, जो बलात्संग का अपराध कारित करता है। और ऐसी उपहति कार करता है, जो मृत्यु कारित करती है या व्यक्ति को लगातार निष्क्रिय स्थिति में होना बनाये रखती है।
सजा- कठोर कारावास, जो 20 वर्ष से कम नहीं होगा, किन्तु जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा, जिसका तात्पर्य उस व्यक्ति के शेष बचे नैसर्गिक जीवन से होगा या मृत्युदण्ड।
यह अपराध एक गैर-जमानतीय और संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है।
सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौते योग्य नहीं है।
जुर्माना/सजा (Fine/Punishment) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 376A के अंतर्गत जो कोई ऐसा अपराध कारित करने के अनुक्रम में ऐसी क्षति कारित करेगा, जिससे स्त्री की मृत्यु कारित हो या स्त्री को लगातार निष्क्रिय स्थिति में बनाये रखे, वह कठोर कारावास, जो 20 वर्ष से कम नहीं होगा, किन्तु जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा, जिसका तात्पर्य उस व्यक्ति के शेष बचे नैसर्गिक जीवन से होगा या मृत्युदण्ड से भी दण्डनीय हो सकेगा।
जमानत (Bail) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 376A अंतर्गत जो अपराध कारित किए जाते है वह अपराध दंड प्रक्रिया संहिता में गैर-जमानतीय (Non-Baileble) अपराध की श्रेणी में आते है, इसलिए इस धारा के अंतर्गत किए गए अपराध में जमानत नही मिल सकेगी।
अपराध | सजा | अपराध श्रेणी | जमानत | विचारणीय |
व्यक्ति, जो बलात्संग का अपराध कारित करता है। और ऐसी उपहति कार करता है, जो मृत्यु कारित करती है या व्यक्ति को लगातार निष्क्रिय स्थिति में होना बनाये रखती है। | कठोर कारावास, जो 20 वर्ष से कम नहीं होगा, किन्तु जो आजीवन कारावास तक का हो सकेगा, जिसका तात्पर्य उस व्यक्ति के शेष बचे नैसर्गिक जीवन से होगा या मृत्युदण्ड। | संज्ञेय | गैर-जमानतीय | सेशन न्यायालय द्वारा |
हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 376A की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।