आईपीसी की धारा 410 | चुराई हुई सम्पत्ति | IPC Section- 410 in hindi | Stolen property.

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 410 के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 410? साथ ही हम आपको IPC की धारा 410, क्या परिभाषित करती है, इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

IPC की धारा 410 का विवरण

भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 410 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। भारतीय दंड संहिता की धारा 410 चुराई हुई संपत्ति (Stolen property) को परिभाषित किया गया है, इस लेख के माध्यम से समझने का प्रयास करेंगे।

आईपीसी की धारा 410 के अनुसार

चुराई हुई सम्पत्ति-

वह सम्पत्ति, जिसका कब्जा चोरी द्वारा या उद्दापन द्वारा या लूट द्वारा अन्तरित किया गया है, और वह सम्पत्ति जिसका आपराधिक दुर्विनियोग किया गया है या जिसके विषय में आपराधिक न्यास भंग किया गया है, “चुराई हुई सम्पत्ति” कहलाती है, चाहे वह अन्तरण या वह दुर्विनियोग या न्यास- भंग भारत के भीतर किया गया हो या बाहर। किन्तु यदि ऐसी सम्पत्ति तत्पश्चात् ऐसे व्यक्ति के कब्जे में पहुँच जाती है, जो उसके कब्जे के लिये वैध रूप से हकदार है, तो वह चुराई हुई सम्पत्ति नहीं रह जाती।

Stolen property-
Property, the possession whereof has been transferred by theft, or by extortion, or by robbery, and property which has been criminally misappropriated or in respect of which criminal breach of trust has been committed, is desginated as “stolen property”, whether the transfer has been made, or the misappropriation or breach of trust has been committed, within or without India. But, if such property subsequently comes into the possession of a person legally entitled to the possession thereof, it then ceases to be stolen property.

हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 410 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप बेझिझक कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।
धन्यवाद

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