नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 483 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 483 के अंतर्गत कैसे क्या सजा मिलती है और जमानत कैसे मिलती है, और यह अपराध किस श्रेणी में आता है, इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 483 का विवरण
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 483 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। जो कोई किसी सम्पत्ति चिन्ह का, जो किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उपयोग में लाया जाता हो, कूटकरण करेगा, तो वह धारा 483 के अंतर्गत दंड एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।
आईपीसी की धारा 483 के अनुसार
अन्य व्यक्ति द्वारा उपयोग में लाये गये सम्पत्ति-चिन्ह का कूटकरण-
जो कोई किसी सम्पत्ति चिन्ह का, जो किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उपयोग में लाया जाता हो, कूटकरण करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
Counterfeiting a property mark used by another-
Whoever counterfeits any property mark used by any other person shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to two years, or with fine, or with both.
लागू अपराध
अन्य व्यक्ति द्वारा उपयोग में लाए गए सम्पत्ति चिह्न का इस आशय से कूटकरण कि नुकसान या क्षति कारित हो।
सजा- दो वर्ष के लिए कारावास या जुर्माना या दोनों।
यह अपराध एक जमानतीय और गैर-संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है।
किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
जुर्माना/सजा (Fine/Punishment) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 483 के अंतर्गत जो कोई किसी सम्पत्ति चिन्ह का, जो किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उपयोग में लाया जाता हो, कूटकरण करेगा, तो वह दोनों में से, किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
जमानत (Bail) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 483 अंतर्गत जो अपराध कारित किए जाते है वह अपराध दंड प्रक्रिया संहिता में जमानतीय (Baileble) अपराध की श्रेणी में आते है, इसलिए इस धारा के अंतर्गत किए गए अपराध में जमानत मिल सकेगी।
अपराध | सजा | अपराध श्रेणी | जमानत | विचारणीय |
अन्य व्यक्ति द्वारा उपयोग में लाए गए सम्पत्ति चिह्न का इस आशय से कूटकरण कि नुकसान या क्षति कारित हो। | दो वर्ष के लिए कारावास या जुर्माना या दोनों। | गैर-संज्ञेय | जमानतीय | किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा |
हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 483 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।