नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 489B के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 489B के अंतर्गत कैसे क्या सजा मिलती है और जमानत कैसे मिलती है, और यह अपराध किस श्रेणी में आता है, इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 489B का विवरण
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 489B के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। जो कोई किसी कूटरचित या कूटकृत करेंसी नोट या बैंक नोट को, यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह कूटरचित या कूटकृत है, किसी अन्य व्यक्ति को बेचेगा या उससे खरीदेगा या प्राप्त करेगा या अन्यथा उसका दुर्व्यापार करेगा या असली के रूप में उसे उपयोग में लाएगा, तो वह धारा 489B के अंतर्गत दंड एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।
आईपीसी की धारा 489B के अनुसार
कूटरचित या कूटकृत करेंसी नोटों या बैंक नोटों को असली के रूप में उपयोग में लाना-
जो कोई किसी कूटरचित या कूटकृत करेंसी नोट या बैंक नोट को, यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह कूटरचित या कूटकृत है, किसी अन्य व्यक्ति को बेचेगा या उससे खरीदेगा या प्राप्त करेगा या अन्यथा उसका दुर्व्यापार करेगा या असली के रूप में उसे उपयोग में लाएगा, वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
Using as genuine, forged or counterfeit currency-notes or bank notes-
Whoever sells to, or buys or receives from, any other person, or otherwise traffics in or uses as genuine, any forged or counterfeit currency-note or bank-note, knowing or having reason to believe the same to be forged or counterfeit, shall be punished with imprisonment for life, or with imprisonment of either description for a term which may extend to ten years, and shall also be liable to fine.
लागू अपराध
कूटरचित या कूटकृत करेंसी नोटों या बैंक नोटों को असली के रूप में उपयोग में लाना।
सजा- आजीवन कारावास या दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना।
यह अपराध एक गैर-जमानतीय और संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है।
सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है।
जुर्माना/सजा (Fine/Punishment) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 489B के अंतर्गत जो कोई किसी कूटरचित या कूटकृत करेंसी नोट या बैंक नोट को, यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह कूटरचित या कूटकृत है, किसी अन्य व्यक्ति को बेचेगा या उससे खरीदेगा या प्राप्त करेगा या अन्यथा उसका दुर्व्यापार करेगा या असली के रूप में उसे उपयोग में लाएगा, तो वह आजीवन कारावास से या दोनों में से, किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
जमानत (Bail) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 489B अंतर्गत जो अपराध कारित किए जाते है वह अपराध दंड प्रक्रिया संहिता में गैर-जमानतीय (Non-Baileble) अपराध की श्रेणी में आते है, इसलिए इस धारा के अंतर्गत किए गए अपराध में जमानत नहीं मिल सकेगी।
अपराध | सजा | अपराध श्रेणी | जमानत | विचारणीय |
कूटरचित या कूटकृत करेंसी नोटों या बैंक नोटों को असली के रूप में उपयोग में लाना। | आजीवन कारावास या दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना। | संज्ञेय | गैर-जमानतीय | सेशन न्यायालय द्वारा |
हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 489B की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।
अगर नकली नोट के केस में चश्मदीद गबाह आरोपी के पक्ष में हो तो क्या उसको बरी किया जायेगा या फिर सजा दी जायेगी
साक्ष्य क्या कह रहे है, यह भी माइने रखता है।