नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 371 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 371 के अंतर्गत कैसे क्या सजा मिलती है और जमानत कैसे मिलती है, और यह अपराध किस श्रेणी में आता है, इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 371 का विवरण
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 371 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। जो कोई अभ्यासत: दासों को आयात करेगा, निर्यात करेगा, अपसारित करेगा, खरीदेगा, बेचेगा या उनका दुर्व्यापार या व्यवहार करेगा, तो वह धारा 371 के अंतर्गत दंड एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।
आईपीसी की धारा 371 के अनुसार
दासों का अभ्यासिक व्यवहार करना-
जो कोई अभ्यासत: दासों को आयात करेगा, निर्यात करेगा, अपसारित करेगा, खरीदेगा, बेचेगा या उनका दुर्व्यापार या व्यवहार करेगा, वह आजीवन कारावास से या दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष से अधिक न होगी, दण्डित किया जायेगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
Habitual dealing in slaves-
Whoever habitually imports, exports, removes, buys, sells, traffics or deals in slaves, shall be punished with imprisonment for life or with imprisonment or either description for a term not exceeding ten years, and shall also be liable to fine.
लागू अपराध
दासों का अभ्यासिक व्यवहार करना।
सजा- आजीवन कारावास, या दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना।
यह अपराध एक गैर-जमानतीय और संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है।
सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौते योग्य नहीं है।
जुर्माना/सजा (Fine/Punishment) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 371 के अंतर्गत जो कोई अभ्यासत: दासों को आयात करेगा, निर्यात करेगा, अपसारित करेगा, खरीदेगा, बेचेगा या उनका दुर्व्यापार या व्यवहार करेगा, वह आजीवन कारावास से या दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष से अधिक न होगी, दण्डित किया जायेगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
जमानत (Bail) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 371 अंतर्गत जो अपराध कारित किए जाते है वह अपराध दंड प्रक्रिया संहिता में गैर-जमानतीय (Non-Baileble) अपराध की श्रेणी में आते है, इसलिए इस धारा के अंतर्गत किए गए अपराध में जमानत नही मिल सकेगी।
अपराध | सजा | अपराध श्रेणी | जमानत | विचारणीय |
दासों का अभ्यासिक व्यवहार करना। | आजीवन कारावास, या दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना। | संज्ञेय | गैर-जमानतीय | सेशन न्यायालय द्वारा |
हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 371 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।