अगर हमारे किसी अपने अथवा स्वयं के साथ कोई अपराध होता है, तो सबसे पहले हम पुलिस स्टेशन पहुचकर FIR दर्ज कराते है, FIR दर्ज कराने के लिये अपनी लिखित शिकायत नजदीकी पुलिस स्टेशन मे जाकर, एक कॉपी प्राप्ति रसीद के तौर पर लेते है । FIR आप घर से स्वंय लिख कर ले जा सकते है अथवा आप वही पुलिस मे अपनी शिकायत दर्ज करने के उपरान्त सूचना देने वाले व्यक्ति को हस्ताक्षरित करने के बाद एक कॉपी आपको भी पुलिस स्टेशन से FIR दर्ज की सूचना ली जा सकती है। अगर पुलिस किसी अपराध की रिपोर्ट लिखने से मना करे तो आपके पास इसका भी कानूनी उपचार है।
अपराध दो प्रकार के होते है एक सज्ञेय अपराध और दूसरा असंज्ञेय अपराध
संज्ञेय अपराध- (CRPC 2C) संज्ञेय अपराध वह अपराध होते है जिसमे किसी व्यक्ति ने किसी व्यक्ति, स्त्री अथवा जीवित जीव के ऊपर गम्भीर रूप से हमला किया हो या गम्भीर रूप से पीडित किया हो, सज्ञेय अपराध है, संज्ञेय अपराध मे पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने के पूर्व ही शक के आधार पर अरेस्ट कर सकती है उसके पश्चात् रिपोर्ट दर्ज कर सकती है, संज्ञेय अपराध मे पुलिस को अपराधी को अरेस्ट करने के लिये वारन्ट की भी जरूरत नही होती है । अगर संज्ञेय अपराध होता है तो पुलिस की ड्यूटी बनती है कि वह आपकी FIR दर्ज करे । संज्ञेय अपराध जैसे- मर्डर, रेप, व दहेज हत्या होती है ।
असंज्ञेय अपराध- (CRPC 2L) असंज्ञेय अपराध वह अपराध होते है जिसमे किसी व्यक्ति वाद विवाद, चोरी, चीटिंग अथवा किसी को हर्ट करना असंज्ञेय अपराध है । असंज्ञेय अपराध मे FIR नही लिखी जाती है ब्लकि आपकी शिकायत को लेकर अपनी (GR) डायरी पर नोट कर लेती है और जांच करने के उपरान्त अपराधी अरेस्ट करके कोर्ट के सामने पेश करती है ।
जब भी कोई संज्ञेय अपराध होता है तो FIR करानी चाहिए फिर भी अगर पुलिस आपकी FIR लिखने से मना करती है तो आपको अपने जिले के पुलिस अधीक्षक को शिकायत करनी चाहिये, आप शिकायत पुलिस अधीक्षक के पास जा कर अथवा डाक के व्दारा भी कर सकते है, उसके बाद भी आपकी अगर कोई सुनवाई नही होती है तो आपको CRPC- 156(3) के तहत मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के पास यह पावर होती है कि वह पुलिस को आर्डर दे कि आपके अपराध पर FIR दर्ज करे । इसके बावजूद भी कभी कभी ऐसा होता है मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पुलिस को आपकी FIR लिखने का आर्डर न देकर आपके अपराध की जांच करके FIR दर्ज करने का आदेश देती है ।