नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 109 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 109, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 109 का विवरण
भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 109 के अन्तर्गत जब प्रश्न यह है कि क्या कोई व्यक्ति भागीदार, भू-स्वामी और अभिधारी, या मालिक और अभिकर्ता है, और यह दर्शित कर दिया गया है कि वे इस रूप में कार्य करते रहे हैं, तब यह साबित करने का भार कि क्रमश: इन सम्बन्धों में वे परस्पर अवस्थित नहीं हैं या अवस्थित होने से परिविरत हो चुके हैं, उस व्यक्ति पर है, जो उसे प्रतिज्ञात करता है।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 109 के अनुसार
भागीदारों, भू-स्वामी और अभिधारी, मालिक और अभिकर्ता के मामलों में सबूत का भार-
जबकि प्रश्न यह है कि क्या कोई व्यक्ति भागीदार, भू-स्वामी और अभिधारी, या मालिक और अभिकर्ता है, और यह दर्शित कर दिया गया है कि वे इस रूप में कार्य करते रहे हैं, तब यह साबित करने का भार कि क्रमश: इन सम्बन्धों में वे परस्पर अवस्थित नहीं हैं या अवस्थित होने से परिविरत हो चुके हैं, उस व्यक्ति पर है, जो उसे प्रतिज्ञात करता है।
Burden of proof as to relationship in the cases of partners, landlord and tenant, principal and agent-
When the question is whether persons are partners, landlord and tenant, or principal and agent, and it has been shown that they have been acting as such, the burden of proving that they do not stand, or have ceased to stand, to each other in those relationships respectively, is on the person who affirms it.
हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 109 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।