नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 145 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 145, साथ ही क्या बतलाती है, यह भी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 145 का विवरण
भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) की धारा 145 के अन्तर्गत किसी साक्षी की उन पूर्वतन कथनों के बारे में, जो उसने लिखित रूप में किए हैं या जो लेखबद्ध किए गए हैं, और जो प्रश्नगत बातों से सुसंगत हैं, ऐसा लेख उसे दिखाए बिना, या ऐसे लेख साबित हुए बिना, प्रतिपरीक्षा की जा सकेगी, किन्तु यदि उस लेख द्वारा उसका खंडन करने का आशय है तो उस लेख को साबित किए जा सकने के पूर्व उसका ध्यान उस लेख के उन भागों की ओर आकर्षित करना होगा जिनका उपयोग उसका खण्डन करने के प्रयोजन से किया जाना है।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 145 के अनुसार
पूर्वतन लेखबद्ध कथनों के बारे में प्रतिपरीक्षा-
किसी साक्षी की उन पूर्वतन कथनों के बारे में, जो उसने लिखित रूप में किए हैं या जो लेखबद्ध किए गए हैं, और जो प्रश्नगत बातों से सुसंगत हैं, ऐसा लेख उसे दिखाए बिना, या ऐसे लेख साबित हुए बिना, प्रतिपरीक्षा की जा सकेगी, किन्तु यदि उस लेख द्वारा उसका खंडन करने का आशय है तो उस लेख को साबित किए जा सकने के पूर्व उसका ध्यान उस लेख के उन भागों की ओर आकर्षित करना होगा जिनका उपयोग उसका खण्डन करने के प्रयोजन से किया जाना है।
Cross-examination as to previous statements in writing-
A witness may be cross-examined as to previous statements made by him in writing or reduced into writing, and relevant to matters in question, without such writing being shown to him, or being proved; but, if it is intended to contradict him by the writing, his attention must, before the writing can be proved, be called to those parts of it which are to be used for the purpose of contradicting him.
हमारा प्रयास भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 145 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।