नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 153-A के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है आईपीसी की धारा 153A? साथ ही हम आपको IPC की धारा 153-A सम्पूर्ण जानकारी कैसे क्या सजा मिलती है और जमानत कैसे मिलेगी, और यह अपराध किस श्रेणी में आता है पूर्ण जानकारी इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 153A का विवरण
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में आज हम आपको महत्वपूर्ण धारा के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। हम में बहुत से लोगो को नहीं पता होता हैं कि यदि हम किसी धर्म (जाति और समुदाय) या संप्रदाय अथवा किसी धार्मिक भावनाओं पर कोई ऐसा कार्य समूहों द्वारा किया जाता है, जिससे लोक शांति में बाधा उत्पन्न होती है तो ऐसे समूहों (व्यक्तियों) द्वारा IPC की धारा 153A के तहत अपराधी होंगे । आज कल हमारे भारत देश ऐसा बहुत कुछ, हम सभी लोग को देखने को मिलता हैं ।
हम सभी जानते हैं हमारे भारत देश में इस समय धर्म, जाति, सामाजिक सांप्रदायिक, बातो को लेकर आपसी मतभेद बहुत सी समस्याओं को जन्म दे रही है । ऐसे लोगो के लिए आईपीसी की धारा 153A से दंडित किया जाता है।
आईपीसी की धारा 153 के अनुसार-
धर्म, मूलवंश, जन्मस्थान, निवासस्थान, भाषा इत्यादि के आधारों के बीच शत्रुता का संप्रवर्तन और सौहार्द बने रहने पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कार्य करना-
क) जो कोई – बोले गए या लिखे गए शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा दृश्यरूपणों द्वारा या विभिन्न धार्मिक, मूलवंशीय या भाषाई या प्रादेशिक समूहों, जातियों या समुदायों के बीच असौहार्द्र अथव शत्रुता, घृणा या वैमनस्य की भावनाएं, धर्म मूलवंश, जन्म स्थान, निवास स्थान, भाषा, जाति या समुदाय के आधारों पर या अन्य किसी आधार पर संप्रवर्तित करेगा या संप्रवर्तित करने का प्रयत्न करेगा, अथवा
ख) कोई ऐसा कार्य करेगा, जो विभिन्न धार्मिक मूलवंशीय, भाषाई या प्रादेशिक समूहों या जातियों या समुदायों के बीच सौहार्द्र बने रहने पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला है और जो लोक प्रशांति में विघ्न डालता है या जिससे उसमें विघ्न पड़ना संम्भाव्य हो, अथवा
ग कोई ऐसा अभ्यास, आंदोलन, कवायद या अन्य वैसा ही क्रियाकलाप इस आशय से संचालित करेगा कि ऐसे क्रियाकलाप में भाग लेने वाले व्यक्ति किसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषाई या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के विरुद्ध अपराधिक बल या हिंसा का प्रयोग करेंगे अथवा प्रयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जाए और ऐसे क्रियाकलाप से ऐसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषाई या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के सदस्यों के बीच, चाहे किसी भी कारण से, भय या संत्रास या असुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है या उत्पन्न होने सम्भाव्य है,।
पूजा के स्थान आदि में किया गया अपराध- जो कोई उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट अपराध किसी पूजा के स्थान में या किसी जमाव में, जो धार्मिक पूजा या धार्मिक कर्म करने में लगा हुआ हो, करेगा, वह कारावास से, जो 5 वर्ष तक का हो सकेगा, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
Promoting enmity between different groups on grounds of religion, race, place of birth, residence, language, etc. and doing acts prejudicial tomaintence of harmony-
(1)Whoever
(a) by words, either spoken or written, or by signs or by visible representations or otherwise, promotes, or attempts to promote, on grounds of religion, race, place of birth, residence, language, caste or community or any other ground whatsoever, disharmony or feelings of enmity, hatred or ill-will between different religious, racial, language or regional groups or castes or communities, or
(b) commits any act which is prejudicial to the maintenance of harmony between different religious, racial, language or regional groups or castes or communities, and which disturbs or is likely to disturb the public tranquillity, or
(c) organizes any exercise, movement, drill or other similar activity intending that the participants in such activity shall use or be trained to use criminal force or violence or knowing it to be likely that the participants in such activity will use or be trained to use criminal force or violence, or participates in such activity intending to use or to be trained to use criminal force or violence or knowing it to be likely that the participants in such activity will use or be trained to use criminal force or violence against any religious, racial, language or regional group or caste or community and such activity, for any reason whatsoever causes or is likely to cause fear or alarm or a feeling of insecurity amongst members of such religious acial, language or regional group or caste or community.
shall be punished with imprisonment which may extend to three years, or with fine, or
with both. (2) Offences committed in the place of worship, etc.-Whoever commits an offence specified in sub-section (1) in any place of worship or in any assembly engaged in the performance of religious worship or religious ceremonies, shall be punished with imprisonment which may extend to five years and shall also be liable to fine.
लागू अपराध
1.वर्गो के बीच शत्रुता का संप्रवर्तन ।
सजा – 3 वर्ष का कारावास या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं ।
2. पूजा के स्थान आदि में वर्गो के बीच शत्रुता का संप्रवर्तन।
सजा – 5 वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं ।
यह एक अजमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम वर्ग के न्यायाधीश द्वारा विचारणीय है।
सजा (Punishment) का प्रावधान
जो कोई किसी धर्म (जाति और समुदाय) या संप्रदाय अथवा किसी धार्मिक भावनाओं पर कोई ऐसा कार्य समूहों द्वारा किया जाता है, जिससे लोक शांति में बाधा उत्पन्न होती है, तो आईपीसी धारा 153A के अंतर्गत अपराधी होगा, जिसे 3 वर्ष कारावास या जुर्माना या फिर दोनों भी हो सकते हैं । पूजा के स्थान आदि में वर्गो के बीच शत्रुता का दंगा जैसा कृत करने वाले समूह को 5 वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं ।
जमानत (Bail) का प्रावधान
इस धारा जो कोई किसी धर्म, समुदाय, या धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए लोक शांति भंग करता है या करने का प्रयास करता है तो वह दंडनीय होगा। साथ मंदिर, मस्जिद जैसे पूजा स्थलों पर लोक शांति भंग करता है या करने का प्रयास करता है तो वह भी दंडनीय होगा। यह एक संज्ञेय अपराध है, और साथ ही इस अपराध की जमानती नहीं है।
अपराध | सजा | अपराध श्रेणी | जमानत | विचारणीय |
वर्गो के बीच शत्रुता का संप्रवर्तन | 3 वर्ष का कारावास या जुर्माना या फिर दोनों | संज्ञेय | गैर-जमानतीय | प्रथम वर्ग के न्यायाधीश |
पूजा के स्थान आदि में वर्गो के बीच शत्रुता का संप्रवर्तन | 5 वर्ष का कारावास और जुर्माना या फिर दोनों | संज्ञेय | गैर-जमानतीय | प्रथम वर्ग के न्यायाधीश |
हमारा प्रयास धारा 153A की पूर्ण जानकारी आप तक प्रदान करने का है, अगर फिर भी आपके मन में कोई सवाल हो,तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है ।
इस धारा में अगर आप जेल जा चुके हैं और वहां से जमानत पर बाहर आए हैं तो क्या फिर से जेल जाना पड़ेगा
उसी मामले मे नही जायेंगे और मामले लगेंगे तो जाना पड़ सकता है, प्रत्येक डेट पर जाना जरूरी भी है, अगर पहले से यह केस चल रहा है, नही तो फिर जाना पड़ सकेगा।