नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 167 के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 167? साथ ही हम आपको IPC की धारा 167 के अंतर्गत कैसे क्या सजा मिलती है और जमानत कैसे मिलती है, और यह अपराध किस श्रेणी में आता है, इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 167 का विवरण
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 167 के अंतर्गत जो कोई लोक सेवक होते हुए, (ऐसे लोक सेवक के नाते किसी दस्तावेज या इलेक्ट्रानिक अभिलेख की रचना या अनुवाद का भार वहन करते हुए उस दस्तावेज या इलेक्ट्रानिक अभिलेख का विनिर्माण, रचना या अनुवाद) इस प्रकार से जिसे वह जानता हो या विश्वास करता हो कि अशुद्ध है, इस आशय से, या सम्भाव्य जानते हुए करेगा तो यह धारा 167 दंडित किया जाएगा। जिसके लिए वह दंड व जुर्माने का भागीदार होगा। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 167 इसी विषय के बारे में बतलाती है।
आईपीसी की धारा 167 के अनुसार-
लोक सेवक, जो क्षति कारित करने के आशय से अशुद्ध दस्तावेज रचता है-
जो कोई लोक सेवक होते हुए और [ऐसे लोक सेवक के नाते किसी दस्तावेज या इलेक्ट्रानिक अभिलेख की रचना या अनुवाद का भार वहन करते हुए उस दस्तावेज या इलेक्ट्रानिक अभिलेख का विनिर्माण, रचना या अनुवाद] ऐसे प्रकार से जिसे वह जानता हो या विश्वास करता हो कि अशुद्ध है, इस आशय से, या सम्भाव्य जानते हुए करेगा कि तद्द्वारा वह किसी व्यक्ति को क्षति कारित करे, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
Public servant framing an incorrect document with intent to cause injury-
Whoever, being a public servant, and being, as [such public servant, charged with the preparation or translation of any document or electronic record, frames, prepares or translates that document or electronic record] in a manner which he knows or believes to be incorrect, intending thereby to cause or knowing it to be likely that he may thereby cause injury to any person, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to three years, or with fine, or with both.
लागू अपराध
लोक सेवक, जो क्षति कारित करने के आशय से अशुद्ध दस्तावेज रचता है।
सजा- तीन वर्ष के लिए कारावास या जुर्माना या दोनो।
यह एक जमानतीय, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौता योग्य नही है।
सजा (Punishment) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 167 के अंतर्गत जो कोई लोकसेवक होते हुए, क्षति कारित करने के आशय से अशुद्ध दस्तावेज रचता है तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
जमानत (Bail) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 167 के अंतर्गत ऐसे अपराध कारित करने वाले व्यक्ति जमानत (Bail) कराना आवश्यक है, यह अपराध जमानतीय होने के कारण जमानत आसानी से मिल जाती है।
अपराध | सजा | अपराध श्रेणी | जमानत | विचारणीय |
लोक सेवक, जो क्षति कारित करने के आशय से अशुद्ध दस्तावेज रचता है। | तीन वर्ष के लिए कारावास या जुर्माना या दोनो। | संज्ञेय | जमानतीय | प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा |
हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 167 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके मन में कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।