नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 367 के बारे में पूर्ण जानकारी देंगे। क्या कहती है भारतीय दंड संहिता की धारा 367 के अंतर्गत कैसे क्या सजा मिलती है और जमानत कैसे मिलती है, और यह अपराध किस श्रेणी में आता है, इस लेख के माध्यम से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
धारा 367 का विवरण
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) में धारा 367 के विषय में पूर्ण जानकारी देंगे। जो कोई व्यक्ति, किसी व्यक्ति का व्यपहरण या अपहरण इसलिये करेगा कि उसे घोर उपहति या दासत्व का या किसी व्यक्ति की प्रकृति विरुद्ध काम-वासना का विषय बनाया जाये या बनाये जाने के खतरे में वह जैसे पड़ सकता है वैसे उसे व्ययनित किया जाये या यह सम्भाव्य जानते हुये करेगा कि ऐसे व्यक्ति को उपर्युक्त बातों का विषय बनाया जाएगा तो वह धारा 367 के अंतर्गत दंड एवं जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।
आईपीसी की धारा 367 के अनुसार
व्यक्ति को घोर उपहति, दासत्व आदि का विषय बनाने के उद्देश्य से व्यपहरण या अपहरण-
जो कोई किसी व्यक्ति का व्यपहरण या अपहरण इसलिये करेगा कि उसे घोर उपहति या दासत्व का या किसी व्यक्ति की प्रकृति विरुद्ध काम-वासना का विषय बनाया जाये या बनाये जाने के खतरे में वह जैसे पड़ सकता है वैसे उसे व्ययनित किया जाये या यह सम्भाव्य जानते हुये करेगा कि ऐसे व्यक्ति को उपर्युक्त बातों का विषय बनाया जाएगा या उपर्युक्त रूप से व्ययनित किया जाएगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा, और जुर्माने से भी
दण्डनीय होगा।
Kidnapping or abducting in order to subject person to grievous hurt, slavery, etc-
Whoever kidnaps or abducts any person in order that such person may be subjected, or may be so disposed of as to be put in danger of being subjected to grievous hurt, or slavery, or to the unnatural lust of any person, or knowing it to be likely that such person will be so subjected or disposed or, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to ten years, and shall also be liable to fine.
लागू अपराध
किसी व्यक्ति को घोर उपहति, दासत्व आदि का विषय बनाने के उद्देश्य से व्यपहरण या अपहरण।
सजा- दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना।
यह अपराध एक गैर-जमानतीय और संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है।
सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है।
यह अपराध समझौते योग्य नहीं है।
जुर्माना/सजा (Fine/Punishment) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 367 के अंतर्गत जो कोई किसी व्यक्ति को घोर उपहति, दासत्व आदि का विषय बनाने के उद्देश्य से व्यपहरण या अपहरण करेगा, वह कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जायेगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।।
जमानत (Bail) का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 367 अंतर्गत जो अपराध कारित किए जाते है वह अपराध दंड प्रक्रिया संहिता में गैर-जमानतीय (Non-Baileble) अपराध की श्रेणी में आते है, इसलिए इस धारा के अंतर्गत किए गए अपराध में जमानत नही मिल सकेगी।
अपराध | सजा | अपराध श्रेणी | जमानत | विचारणीय |
किसी व्यक्ति को घोर उपहति, दासत्व आदि का विषय बनाने के उद्देश्य से व्यपहरण या अपहरण। | दस वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना। | संज्ञेय | गैर-जमानतीय | सेशन न्यायालय द्वारा |
हमारा प्रयास आईपीसी की धारा 367 की पूर्ण जानकारी, आप तक प्रदान करने का है, उम्मीद है कि उपरोक्त लेख से आपको संतुष्ट जानकारी प्राप्त हुई होगी, फिर भी अगर आपके पास कोई सवाल हो, तो आप कॉमेंट बॉक्स में कॉमेंट करके पूछ सकते है।